धनबाद(DHANBAD) : कोयलांचल की "दुर्गति" देखने पहुंची विधानसभा की विशेष समिति का रुख कड़ा है. कोयला खनन के नियमों के उल्लंघन को लेकर समिति सख्त है. हो सकता है कि समिति लौटने के पहले कुछ आउटसोर्सिंग कंपनियों को बंद करने का आदेश बीसीसीएल मैनेजमेंट को दे सकती है. हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो रही है. समिति में शामिल निरसा विधायक अरूप चटर्जी बीसीसीएल और डीजीएमएस के क्रियाकलापों से काफी नाराज है. रविवार को The Newspost से बात करते हुए विधायक अ रूप चटर्जी ने कहा कि "मुखेर कानून" के हिसाब से बीसीसीएल काम कर रही है. कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के समय बीसीसीएल को दावे के मुताबिक 23000 एकड़ जमीन मिली थी. लेकिन वह जमीन कहां है ,इसकी जानकारी मैनेजमेंट को नहीं है. इस जमीन का अभी तक म्यूटेशन नहीं कराया गया है. लेकिन बीसीसीएल दावा कर रही है कि जमीन उसकी है. इधर, रैयतों की जमीन पर पहाड़ खड़े कर दिए गए है. यह सब डंपिंग के नियम के खिलाफ किया गया है और किया जा रहा है.
नियम को टाक पर रखकर हो रहा ओबी डंपिंग
विधायक अरूप चटर्जी ने बताया कि नियम के मुताबिक ओबी डंपिंग 30 फीट ऊंचाई तक करनी है. उसके बाद फिर रास्ता रहेगा, फिर डंपिंग की जा सकती है. जिस वजह से पत्थर के टुकड़े से कोई नुकसान नहीं हो. लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है. डीजीएमएस भी असहाय बना हुआ है. उन्होंने कहा कि यह समस्या बहुत जटिल और पुरानी है. रैयतों के साथ अत्याचार हो रहा है. विधायक ने कहा कि रैयतों को मुआवजा नहीं दिया गया है, लेकिन उनकी जमीन पर कोयला खनन किया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि रैयतों ने वंशावली जमा नहीं की है, इस वजह से उनका भुगतान नहीं किया गया है. विधायक का सवाल है कि अगर किसी वजह से कोई परिवार वंशावली नहीं जमा कर सका हो, तो उसकी जमीन से बिना मुआवजा भुगतान के कोयला खनन कैसे किया जा सकता है? यह तो सरासर अन्याय है.
शनिवार को अधिकारियों के साथ विधानसभा की विशेष समिति ने बैठक की
इधर, शनिवार को अधिकारियों के साथ विधानसभा की विशेष समिति ने बैठक की. संयोजक विधायक मथुरा महतो ने कहा कि रैयतों की जमीन संबंधित समस्या का निराकरण करने के लिए विशेष कोषांग का गठन किया जाएगा. इसमें रैयतों की भूमि संबंधित कागजात की जांच की जाएगी और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा. संबंधित अंचल के अंचल अधिकारी को जमीन की माफी कराने तथा रैयतों की जमीन का सीमांकन करने को भी कहा गया है. यदि गैर मजरुआ भूमि पर ओबी डंप किया गया है, तो संबंधित कंपनी राजस्व विभाग में राशि जमा करेगी और यदि रैयतों की जमीन पर ओबी डंप किया गया है, तो रैयत को मुआवजा का भुगतान करना होगा. बैठक में विधायक का अरूप चटर्जी नाराज दिखे, उन्होंने समिति से इस्तीफा तक की पेशकश कर दी. समिति के अन्य सदस्यों ने उन्हें शांत कराया.
बीसीसीएल के अधिकारियो के आदेश की भी कोई परवाह नहीं
अरूप चटर्जी का कहना है कि मामला बहुत गंभीर है. इसमें सख्त कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि बीसीसीएल के अधिकारी लिखकर देते रहे हैं कि रैयतों की जमीन पर ओबी डंप नहीं किया जाएगा, लेकिन उस आदेश का अनुपालन आउटसोर्स कंपनियां नहीं कर रही है. नियम का उल्लंघन हो रहा है, कोयला चोरी भी हो रही है और अवैध उत्खनन भी हो रहा है. विधानसभा की विशेष समिति ने कोयलांचल के कई इलाकों का दौरा किया है. रविवार को भी समिति दौरे पर है. विशेष समिति के दौरे से आगे झारखंड सरकार पर भी दबाव बढ़ सकता है. समिति की जांच से कई गड़बड़ियों का खुलासा भी संभव है. समिति के संयोजक विधायक मथुरा महतो है जबकि अरूप चटर्जी,विधायक राज सिन्हा ,विधायक बबलू महतो ,विधयक उमा कान्त रजक ,विधायक सुदीप गुड़िया ,विधायक धनंजय सोरेन सदस्य है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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