टीएनपी डेस्क (Tnp Desk):- किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि चंद पैसे का निवेश बिटकॉइन में करोड़ों रुपए देगा. एक आम इंसान भी रोडपति से करोड़पति बन जाएगा. लेकिन वो ख्वाब सच हुए औऱ जमीन पर उतरे क्रिप्टकरेंसी के भिष्म पितामह बिटकॉइन में महज कुछ पैसे लगाकर यह मुमकिन हो गया . इसे लेकर डिजिटल करेंसी की दुनिया में एक हलचल, चर्चा और बहस छिड़ी हुई है कि आखिर आगे क्या भविष्य क्रिप्टोकरेंसी का होगा. क्या सभी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की ही तरह बेशुमार पैसा देगी, हर कोई फिर इसमे चंद रुपए निवेश कर करोड़पति बन जाएगा. तमाम सवाल आज भी उलझे हुए तार की तरह सुलझने बाकी है. भारत में तो क्रिप्टोकरेंसी को सरकार ने मान्यता ही नहीं दी है. इसकी कोई रेगुलेटरी ही नहीं है. लेकिन, यहां भी क्रेज कम नहीं हुआ है, दरअसल  

दुनिया में बढ़ता क्रिप्टो का क्रेज

पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक अलग पागलपन औऱ दीवानापन छाया हुआ है कि लोग पैसा इसमे झोक देने को बेताब हैं. हालांकि, इसकी राहों में अनजाने खतरे तो पैर पसारे हुए है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता. इसलिए बेधड़क पैसा लगा देना समझदारी तो नहीं कहा जा सकता. हालांकि, कुछ फायदे के पहलू जरुर दिखते है. जो इस डिजिटल करेंसी के पक्ष में जाता है. अगर एक-एक कर इसका विश्लेषण करें तो खुद ब खुद मालूम पड़ेगा कि आखिर इसका भविष्य क्या हो सकता है.

क्रिप्टोकरेंसी बाजार का बढ़ा दायरा   

अगर आज देखे तो बाजार में दस हजार से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी है और हर किसी की अपनी अलग-अलग खूबियां है. लेकिन सभी भी एक चिज समान होती है, वह है कि उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव होना. इसके पीछे वजह ये है कि कीमते मुख्य रुप से माइनर्स से सिक्कों की आपूर्ति और खरीदारों द्वारा उनकी मांग से संचालित होती है. लिहाजा आपूर्ति-मांग की यह गतिशिला भारी फायदा दे सकती है. ठीक इसके उलट किया जाए यानि सिक्कों की आपूर्ति की तुलना में मांग कम हो तो नुकसान का सौदा हो सकता है. कुलमिलाकर यही कहा जा सकता है कि मांग-आपूर्ति यहां भी काम करती है.

ब्लॉकचेन का फायदा

क्रिप्टोकरेंसी में एक अच्छी चिज ये है कि कुछ प्रमुख लाभ मुद्राओं से जुड़े नहीं है, बल्कि उन्हें समर्थन देने वाले बुनियादी ढांचे से जुड़े हैं. वह चिज ब्लॉकचेन है, जिसका विकेन्द्रीकृत डेटा-स्टोरेज लेजर जो इस पर किए गए हर लेन-देन को ट्रैक करता है. एकबार आप जब ब्लॉकचेन में कोई चिज इंट्री कर देते हैं, तो उसे कभी मिटाया नहीं जा सकता. ब्लॉकचेन को कई कंप्यूटरों में विकेन्द्रीकृत रुप से संग्रहित करने के साथ कोई भी हैकर एक बार में पूरी श्रृंखला तक नहीं पहुंच सकता . इसमे मौजूद कोई भी जानकारी हमेशा के लिए सुरक्षित रहती है.

मध्यस्थ की नहीं रहती भूमिका

आम तौर पर देखे तो हमारी वित्तिय प्रणालियां तीसरे पक्ष के मध्यस्थों के ईर्द-गिर्द ही घूमते रहती है यानि लेन-देन की प्रक्रिया करते हैं. मतलब ये है कि किसी भी लेन-देने के लिए एक या अधिक मध्यस्थों पर अपना भरोसा रखते है. लेकिन, क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा नहीं होता ब्लकि ब्लॉकचेन इसमे एक विकल्प मुहैया करता है. इसे कोई भी कही भी आसानी से देख सकता है. इसलिए इसमे आप किसी मध्यस्थ के बिना ही लेन देन कर सकते हैं.

24 घंटे होता है कारोबार

आप सोचिए बैक तो दिन भर यह 24 घंटे तो खुला नहीं रह सकते हैं. जबकि क्रिप्टोकरेंसी में एक फायदा ये है कि क्रिप्टो बाजार हमेशा खुला रहते हैं. सिक्कों की माइनिंग और चौबिसों घंटे लेन-देन रिकॉर्ड किए जाने के कारण , आप क्रिप्टो खरीदना,बेचना या ट्रेड करना चाहते है, तो आप कभी भी कर सकते हैं. जबकि स्टॉक एक्सचेंज 24 घंटे खुले नहीं रहते है, एक निश्चित समय के लिए आपको इंतजार करना पड़ता है.

मुद्रस्फीति से निपटने में सहायक

क्रिप्टोकरेंसी की एक बेहतरीन चिज ये भी सामने देखने को मिलती है कि यह किसी एक मुद्रा या अर्थव्यवस्था से बंधी नहीं होती, इसलिए उनकी कीमत राष्ट्रीय मुद्रास्फीति के बजाय वैश्विक मांग को दर्शाती है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की मुद्रास्फीति के बारे में क्या? एक निवेशक के रूप में आप ज़्यादातर मामलों में बिल्कुल निश्चिंत रह सकते हैं. इसके सिक्कों की संख्या सीमित है, इसलिए मौजूद राशि कंट्रोल से बाहर नहीं जा सकती, इसलिए इसमे कोई मुद्रास्फीति नहीं होती.

आम आदमी तक आसानी से पहुंच

क्रिप्टोकरेंसी अन्य चिजो से बिल्कुल आसान और एक आम आदामी के आसानी तक पहुंच सकती है. कोई भी व्यक्ति सिर्फ एक स्मार्टफोन और इंटरनेट एक्सेस की बदौलत क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार कर सकता है. जिसके जरिए आर्थिक सशक्तिकरण और समावेशन के अवसर खुलते हैं.

आज हजारो क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में मौजूद है एक वक्त था कि लोगों को उतनी जानकारी नहीं थी. गिने-चुने लोगों के पहुंच भी ही सारी चिजे थी. लेकिन समय के साथ यह घटने की बजाए बढ़ता ही जा रही है. इसे देखते हुए तो लगता है कि आने वाले वक्त में इसकी पहुंच औऱ मांग कम होने वाली तो नहीं ही दिखलाई पड़ती है.