टीएनपी डेस्क(TNP DESK):उड़ीसा में स्थित भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर रहस्यमयी चमत्कारों से भरा हुआ है.जहां के गूंबज ध्वज से लेकर हर साल 15 दिन के लिए भगवान का बीमार हो जाने का इतिहास काफी रोचक है.वहीं मूर्तियों से जुड़ी कई चमत्कारी कहानी प्रसिद्ध है.मूर्तियों से जुड़ी एक रहस्यमयी कहानी लोगों के बीच काफी ज्यादा प्रचलित है, जिसके अनुसार कहा जाता है कि आज भी भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों में भगवान श्री कृष्ण का दिल धड़कता है.चलिए जानते हैं इस रहस्यमयी कहानी के पीछे का सच क्या है.
लाखों लोग इस बात से होंगे अनजान
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने जब अपने शरीर का त्याग किया तो उनका संपूर्ण शरीर पंचतत्व में विलिन हो गया, लेकिन उनका दिल आज भी जिंदा है.यहां के पुजारियों की माने तो आज भी भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों में श्री कृष्ण जी का दिल धड़क रहा है, चलिए आज हम आपको भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों से जुड़े इस रोचक और रहस्यमयी इतिहास के बारे में बताते है.जिसके बारे में आज भी लाखों लोगों को नहीं पता होगी.
कई रहस्मयी चमत्कारों से भरी है यहां की मूर्तियां
आपको बताये कि उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्री कृष्ण अपने भाई बहन के साथ विराजमान हैं, इस बात का प्रमाण मत्स्य पुराण में भी मिलता है. जिसमे इस बात का उल्लेख किया गया है कि भगवान से कृष्ण आज भी भाई बहन के साथ विराजमान है. आपने दुनिया के सभी मंदिरों में अपने पत्थर, सोना, चांदी या फिर किसी धातु की मूर्ति बनी देखी होगी, लेकिन भगवान जगन्नाथ का ही एक ऐसा मंदिर है, जहां की मूर्तियां लकड़ी से बनी है. जिसको नीम की लकड़ी से निर्माण किया गया है.इसके साथ ही इस मूर्ति के पीछे एक बहुत बड़ी कहानी छुपी है क्योंकि भगवान से कृष्ण और उनके भाई बहन की मूर्ति अधूरी है.
पढ़ें मूर्ती का इतिहास
पुरानी कथा की माने तो राजा इंद्रद्युम्न को सपने में भगवान श्री कृष्ण आये, और नीम की लकड़ी से मूर्तियां बनाने को कहा.जिसका पालन करते हुए राजा ने मूर्ती का निर्माण करवा दिया. कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने जब अपने शरीर का त्याग किया तो उनका अंतिम संस्कार किया गया लेकिन उनकी आत्मा उस लकड़ी की मूर्ती में बस गई.उनका दिल आज भी जिंदा है और भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों में धड़कता है.
हर 12 साल में बदली जाती है मूर्तियां
आपको बताएं कि मंदिर में भगवान जगन्नाथ बलभद्र और सुभद्रा की जो मूर्तियां हैं, उन्हें हर 12 साल में बदला जाता है, वहीं मूर्ति बदलते समय पुरानी मूर्ति से ब्रह्म पदार्थ नई मूर्ति में डाला जाता है ऐसा माना जाता है कि यह ब्रह्म पदार्थ भगवान कृष्ण का हृदय है, पुजारियों की माने तो इसे बदलते समय उन्हें कुछ उछलता हुआ महसूस होता है, लेकिन इसे कोई देख नहीं सकता है, छूने पर वह उछलते हुए खरगोश जैसा महसूस होता है.ऐसी मान्यता है कि इसको जो देखता है वो अंधा हो जाता है, या उसकी मौत हो जाती है. पुजारी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर यह काम करते है.
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