दुमका (DUMKA) : दुमका जिला के काठीकुंड स्थित चांदनी चौक पर 15 जून से ग्रामीण कोयला परिवहन के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे थे. यह धरना शनिवार रात समाप्त हो गया. आंदोलनकारी, कोयला परिवहन से जुड़ी एजेंसी और जिला प्रशासन के बीच त्रिपक्षीय वार्ता सफल रही. वार्ता सफल होने के बाद पाकुड़ से दुमका रेलवे स्टेशन तक कोयला का परिवहन समझौते के शर्त के अनुरूप शुरू हो गया.
क्या थी लोगों की मांग
दरअसल पचवारा कोयला खान परिवहन प्रभावित संघ के बैनर तले 15 जून से काठीकुंड के चांदनी चौक पर स्थानीय लोग धरना पर बैठे थे. धरना का नेतृत्व शिवतल्ला के ग्राम प्रधान जॉन सोरेन कर रहे थे जबकि आंदोलन को शिकारीपाड़ा विधायक आलोक सोरेन का भी समर्थन था. कोयला परिवहन के लिए पाकुड़ के अमड़ापाड़ा से दुमका रेलवे स्टेशन तक कोल कॉरिडोर निर्माण सहित 11 सूत्री मांगों के समर्थन में आंदोलन किया जा रहा था.
आंदोलन समाप्त कराने में प्रशासन ने की पहल
आंदोलन शुरू होते ही दुमका पाकुड़ मार्ग पर कोयला लोड वाहनों की लंबी कतार लग गयी. दरअसल आंदोलनकारियों द्वारा कोयला लोड वाहन को रोका गया था जबकि अन्य वाहनों का परिचालन सामान्य रूप से हो रहा था. आंदोलन शुरू होने के बाद प्रशासन ने इसे समाप्त करने की दिशा में पहल शुरू की. प्रशासन के प्रयास से वार्ता दो दौर में हुई. पहले दौर में सभी बिंदुओं पर सहमति नहीं बनी. इतना जरूर हुआ कि कोयला लोड वाहन जो सड़क पर खड़ी थी उसे कोल डंपिंग यार्ड तक आने की अनुमति दी गयी. कल शनिवार को त्रिपक्षीय वार्ता में अधिकांश मांगों पर सहमति बनने के बाद आंदोलन वापस ले लिया गया. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जॉन सोरेन ने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की. शिकारीपाड़ा विधायक आलोक सोरेन ने आंदोलन में साथ देने वाले लोगों के प्रति आभार जताया.
जानिए किन मुद्दों पर बनी सहमति
एसडीओ कौशल कुमार ने आंदोलनकारियों को बताया कि उनकी मांगों पर कोयला परिवहन कार्य से जुड़ी एजेंसी द्वारा सहमति दी है. उन्होंने कहा कि सड़क चौड़ीकरण में समय लगेगा, तब तक अमड़ापाड़ा दुमका मुख्य मार्ग की मरम्मत्ति कोयला परिवहन एजेंसी द्वारा किया जाएगा. सड़क मरम्मत्ति होने तक दिन में कोयला लोड वाहन का परिवहन दिन में बंद रहेगा. सड़क पर बेलगाम दौड़ने वाले हाइवा और ट्रक की स्पीड पर अंकुश लगाया जाएगा. डीएमएफटी फंड से 20 सीसीटीवी लगाया जाएगा. जनप्रतिनिधि के माध्यम से डीएमएफटी फंड से क्षेत्र में विकास के कार्य किए जाएंगे. पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा. कोयला लोड वाहन की चपेट में अगर कोई व्यक्ति आते है तो अधिकतम 10 लाख रुपया मुआवजा दिया जाएगा. मुआवजा का निर्णय गठित कमिटी द्वारा किया जाएगा. कोयला परिवहन से जुड़े कार्य में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी.
क्या कहते है एसडीओ
इस बाबत एसडीओ कौशल कुमार ने बताया कि वार्ता सफल हुई. आंदोलनकारियों की अधिकतर मांगो पर कोयला परिवहन से जुड़ी एजेंसी ने सहमति दी है. समझौते के शर्तो का शख्ती से पालन कराया जाएगा. पर्यावरण की सुरक्षा के साथ साथ आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिकता है.
कोयला परिवहन से जुड़ी कार्यकारी एजेंसी ने ली राहत की सांस
रविवार से शुरू हुआ आंदोलन शनिवार रात समाप्त हो गया. आंदोलन समाप्त होने पर कोयला परिवहन कार्य से जुड़ी एजेंसी ने राहत की सांस ली होगी. एक सप्ताह तक परिवहन बाधित रहने से कंपनी को नुकसान होने के साथ साथ सरकार को भी राजश्व की हानि हुई. वाहन मालिक और चालक भी परेशान रहे.
आंदोलन को लेकर उठ रहे सवाल
आखिरकार कोयला परिवहन के खिलाफ लोगों का आंदोलन समाप्त हो गया लेकिन इसको लेकर सवाल भी उठ रहे है. क्योंकि पाकुड़ के अमड़ापाड़ा से दुमका रेलवे स्टेशन तक सड़क मार्ग से कोयला की ढुलाई कई वर्षों से हो रही है. कोयल परिवहन का कार्य शुरू होते ही सड़कें खराब होना, पर्यावरण प्रदूषण से लेकर आये दिन दुर्घटना होने लगी. सड़कों पर बेलगाम दौड़ती कोयला लोड वाहन की चपेट में आने से कई लोगों की जानें गयी, विरोध में लोग सड़क पर उतरे लेकिन समझा कर मामला शांत करा लिया गया. ऐसी स्थिति में तात्कालिक क्या परिस्थिति उत्पन्न हुई जिसके कारण स्थानीय लोगों को अनिश्चितकालीन धरना पर बैठना पड़ा? आंदोलन को स्थानीय झामुमो विधायक आलोक सोरेन का भी समर्थन मिला. पर्दे के पीछे कुछ और बातें तो नहीं? कोयला परिवहन के खिलाफ आंदोलन तो समाप्त हो गया लेकिन दुमका रेलवे स्टेशन परिसर से कोयला डंपिंग यार्ड हटाने की मांग को लेकर रसिकपुर और आसपास के लोगों का चरणबद्ध आंदोलन कब समाप्त होगा? यह भी अहम सवाल है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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