दुमका (DUMKA):  इन दिनों संताल परगना प्रमंडल की सियासत गरमाई हुई है. इसकी शुरुआत पूर्व सीएम सह भाजपा के दिग्गज नेता रघुवर दास ने की. रही सही कसर नेता प्रतिपक्ष सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पूरी कर दी. जब विपक्ष आक्रामक हो तो भला सत्ता पक्ष कैसे शांत रह सकता है. जबाबी पारी खेलने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश संगठन सृजन कार्यक्रम के बहाने 26 जून से 5 दिवसीय संताल परगना प्रमंडल के दौरे पर आने वाले है. इतना ही नहीं 30 जून को हूल दिवस के बहाने पक्ष और विपक्ष के नेताओं का जमघट भोगनाडीह में लगेगा. राजनीतिक बयानबाजी तेज होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. सबके केंद्र में सिदो कान्हु और उनके वंशज है.

सीएम रहते रघुवर दास ने सबसे ज्यादा किया था संताल परगना का दौरा

वर्ष 2014 से 2019 तक जब रघुवर दास झारखंड के सीएम थे तो उनका सबसे ज्यादा दौरा संताल परगना प्रमंडल का होता था. इसके बाबजूद 2019 और 2024 के चुनाव में जनता ने भाजपा को सत्ता से दूर रखा. पार्टी आलाकमान ने बाबूलाल मरांडी की घर वापसी करवा कर प्रदेश की कमान उनके हाथों में सौंप दिया. पार्टी में अंतर्कलह न हो इसको लेकर रघुवर दास को सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया. लेकिन जब 2024 के विधान सभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई तो पार्टी ने एक बार फिर रघुवर दास को सक्रिय राजनीति में लाया है.

पुराने अंदाज में रघुवर, जनचौपाल के बहाने लगे जनता का नब्ज टटोलने

सक्रिय राजनीति में दोबारा कदम रखने के बाद पूर्व सीएम रघुवर दास पुराने तेवर में नजर आ रहे है. जगह जगह जन चौपाल के माध्यम से जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में लगे है. प्रमंडल और जिला का दौरा कर कार्यकर्ताओं से मिल रहे है. संगठन की वास्तविक स्थिति को समझने के साथ पार्टी के अंदर की गुटबाजी को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं. इसी कड़ी में अपने दो दिवसीय दौरे के क्रम में रघुवर दास 21 जून को दुमका पहुँचे थे. रात्री विश्राम भले ही उनका दुमका में हुआ लेकिन 21 जून को पाकुड़ में जबकि 22 जून को साहेबगंज में जन चौपाल लगाकर जनता का मन टटोला.

प्रेसवार्ता में रघुवर और बाबूलाल ने राज्य सरकार पर बोला हमला तो गरमाई सियासत

दुमका परिसदन में आयोजित प्रेसवार्ता में रघुवर दास ने सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि जब जब झारखंड में झामुमो, राजद और कांग्रेस की सरकार बनी तब तक झारखंड शर्मसार हुआ. रघुवर दास का बयान चर्चा में था कि 22 जून को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी दुमका पहुचे. परिसदन में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई. रघुवर और बाबूलाल की एक साथ तस्वीर सामने आने पर तरह तरह के कयास लगाए जाने लगे. इस बीच 23 जून को बाबूलाल मरांडी ने केंद्र सरकार की 11 वर्षो की उपलब्धि का बखान करते करते हेमंत सोरेन की सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए.

कांग्रेस ने साधा रघुवर पर निशाना, प्रदेश प्रवक्ता ने कहा : भाजपा नेताओं का भोगनाडीह दौरा राजनीतिक होती है

जब विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर हो तो भला सत्ता पक्ष चुप कैसे बैठ सकता. 23 जून को कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता श्यामल किशोर सिंह ने प्रेसवार्ता की. वैसे तो यह प्रेसवार्ता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के 5 दिवसीय संताल परगना प्रमंडल दौरे को लेकर था, जिसकी शुरुआत 26 जून को देवघर से होगी जबकि समापन 30 जून को साहेबगंज के भोगनाडीह में. इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष प्रमंडल के सभी 6 जिलों में आयोजित संगठन सृजन कार्यक्रम में शामिल होंगे. प्रेसवार्ता के दौरान कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता श्यामल किशोर सिंह ने रघुवर दास के बयान पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं का भोगनाडीह दौरा सिदो कान्हू और उनके बंशज को सम्मान देने के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक होती है और जनता इसे समझ रही है. 25 वर्षों में 18 वर्ष झारखंड में भाजपा ने शासन किया लेकिन जनता के लिए कुछ नहीं किया. यही वजह रही कि जनता ने उन्हें सत्ता के गलियारे से भगा दिया. एक बार फिर संताल परगना में अपना जनाधार बढ़ाने में लगी है लेकिन यहां की जनता सबकुछ समझ रही है.

मंत्री संजय प्रसाद यादव ने भी रघुवर के बयान पर किया पलटवार

वहीं राजद कोटे से मंत्री संजय प्रसाद यादव ने भी बाबूलाल मरांडी के बयान पर पलटवार किया.उन्होंने कहा कि सीएम रहते रघुवर दास ने डोभा खुदवाया जिसका लाभ लोगों को नहीं मिला. बस इतना ही हुआ कि कई बच्चे डोभा में डूबकर मर गए. 5 वर्षों तक चौपाल लगाते रहे लेकिन लोगों की समस्या का समाधान नहीं हुआ. तभी तो जनता ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन को सत्ता सौंपी है. उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में रिमोट कंट्रोल गुजरात और दिल्ली में रहता है. ये लोग कभी झारखंड का भला नहीं सोच सकते.

रघुवर दास बेबाक अंदाज में बयान देने के लिए जाने जाते है. उनके दो दिवसीय संताल परगना प्रमंडल के दौरे के बाद यहां की राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. 30 जून को हूल दिवस है. इस मौके पर पक्ष से लेकर विपक्ष तक के नेताओं का जमावड़ा हूल विद्रोह के नायक सिदो कान्हु की जन्मस्थली भोगनाडीह में लगेगा. ऐसी स्थिति में राजनीतिक तपिश और बढ़ेगी क्योंकि संताल परगना की राजनीति हमेशा सिदो कान्हु के इर्द गिर्द घूमती है.

रिपोर्ट: पंचम झा