टीएनपी डेस्क (TNP DESK): चुनाव से पहले सियासी दल न महज़ लोकलुभावन वादे करते हैं, नारे लगाते हैं बल्कि कुछ सौगातें भी बांटना शुरू कर देते हैं. ऐसा अक्सर सत्ताधारी दलों की ओर से इधर के वर्षों में किया जाता रहा है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त एतराज़ जताया है. इस संबंध में अदालत ने सरकार और चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है.

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क्या है मामला

बता दें कि इस संबंध में वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने सवाल उठाया है कि इससे देश, राज्य और जनता पर अतिरिक्त बोझ बढ़ाता है. ऐसी ही एक याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी दाखिल की है. जिसका समर्थन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी किया है. कहा कि मुफ्त में चीजों का देना अर्थव्यवस्था के लिए खतरा है.

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क्या कहा अदालत ने

चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने इसे गंभीर मामला बताया है. इसका देश की इकानॉमी पर असर पड़ता है. कहा कि चुनाव आयोग और सरकार इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते. इन दोनों को इस पर रोक लगाने के लिए कुछ उपाय करने होंगे. कोर्ट ने इसके लिए एक विशेषज्ञ निकाय बनाने का सुझाव दिया है. जिसमें केंद्र, विपक्षी दल, चुनाव आयोग, नीति आयोग , आरबीआई और अन्य हितधारक शामिल किये जा सकते हैं. अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी.