गोड्डा (GODDA): बंकिम चन्द्र चटोपाध्याय द्वारा लिखित भारत के राष्ट्र गीत को आज पुरे 150 वर्ष पूरे हो गये. इस राष्ट्र गीत का इतिहास भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास से जुड़ा हुआ है. बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत सबसे पहले उनके उपन्यास 'आनन्दमठ' में प्रकाशित हुआ था. इस गीत की रचना 1870 के दशक में हुई थी और यह 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार गाया गया था. संस्कृत में वंदे मातरम का अर्थ है, 'मैं माँ की आराधना करता हूँ.
जिला प्रशासन द्वारा भी कुछ प्रशासनिक कर्मियों के साथ गाया गया ये गीत
राष्ट्र गीत "वन्दे मातरम्" के 150 वर्ष हुए पुरे, लेकिन गोड्डा में कार्यक्रम के नाम पर निभाई गई केवल औपचारिकता को 65 सेकंड (1 मिनट 5 सेकंड) में भारत का राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' गाया जाता है. पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में सार्वजनिक रूप से गाया गया था. मगर जिला प्रशासन द्वारा न तो इस कार्यक्रम की विधिवत कोई सुचना दी गयी आम लोगों को न ही कार्यक्रम की कोई रुपरेखा की तैयारी की गयी .ऐसा लग रहा था मानो सिर्फ औपचारिकताएं पूरी भर की गयी हो .प्लस 2 गर्ल्स स्कुल की कुछ बच्चियां एक शिक्षिका और प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा इस गीत को गाया गया ,इसके अलावे एक भी आम जनता या जन प्रतिनिधि मौजूद नही थे .
मीडिया कर्मियों को चौदह मिनट पहले दी गयी सुचना
जिला प्रशासन तथा जनसंपर्क विभाग की कर्तव्यनिष्ठा इसी बात से सामने आती है कि राष्ट्र गीत "वन्दे मातरम्" के 150 वर्ष हुए पुरे,.लेकिन गोड्डा में कार्यक्रम के नाम पर निभाई गई केवल औपचारिकता के 150 वें दिन के उपलक्ष में जो कार्यक्रम आयोजित होनी थी उसकी सुचना जनसंपर्क द्वारा महज 14 मिनट पहले मीडिया ग्रुप में डाली गयी और कार्यक्रम 10 बजे सुनिश्चित थी .इसके बाद जनसंपर्क विभाग द्वारा त्वरित प्रेस विज्ञप्ति भी जारी कर दी गयी कि सैकड़ों लोगों ने गाया राष्ट्र गीत.
रिपोर्ट-अजीत सिंह

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