टीएनपी डेस्क (Tnp Desk):- किसी ने सोचा नहीं था या कोई तस्दीक की थी कि 10 और 20 रुपए से भी कोई करोड़पति बन जाएगा. लेकिन, जो ख्वाब नींदों में दिखलाई पड़ते थे, आज वह हकीकत में तब्दील हो गई है. सचमुच यह अजुबा, अविश्वसनीय और अकल्पनीय है.
बिटकॉइन ने दिया बेशुमार दौलत
आज सोचिए एक बिटकॉइन का बाजार भाव 91 लाख रुपए के आसपास है. कल को अगर यही रफ्तार रही तो उसकी कीमत 1 करोड़ हो जाएगी. क्या गजब की डिजिटल करंसी ने दुनिया को अंचभे में डाल दिया . इसने तमाम पारंपरिक निवेश से बढ़कर रिटर्न दिया. हालांकि, तल्ख हकीकत ये भी है कि यहां खतरे और डर का भी बसेरा है.2009 में लॉन्च हुए बिटकॉइन की कीमत तकरीबन 0.0008 डॉलर यानि महज 6 पैसे थी. जो 2018 में 0.08 डॉलर हुई और फिर 2011 में 1 डॉलर से अधिक हो गयी . आज इसकी कीमत भारतीय रुपए के मुताबिक 91 लाख रुपये से ऊपर हैं. देढ़ दशक की यात्रा में बिटकॉइन ने बेशुमार दौलत दी और उन लोगों को भी पैसा दिखाया और अहसास कराया कि छुट्टे पैसे भी करोड़ रुपए बन सकते हैं. बिटकॉइन के बाद ही क्रिप्टो करंसी की धमक दुनिया ने देखी और आज तो हर किसी के जुबान पर यह रच बस गया है.
कौन है बिटकॉइन का जनक ?
सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर ये अलाउदीन का चिराग को किसने खोजा और कौन इसका माई-बाप है.कुछ रिकॉर्ड औऱ जानकारी के मुताबिक इसके जन्मदाता आज तक गुमनाम है. दुनिया उसे बस उसके नाम से जानती है. यह शख्स आज भी रहस्य की चादर ओढ़े हुए और एक अबूझ पहली बना हुआ है. 2008 में सातोषी नाकामोता नामक एक अज्ञात व्यक्ति या समूह ने श्वेत पत्र प्रकाशित किया था जिसमे बिटकॉइन की अवधारणा के बारे में उल्लेख किया गया था. अभी भी प्रश्न यही उठता है कि सातोषी नाकामोता कौन है.अभी तक उसकी कोई झलक दुनिया ने क्यों नहीं देखी . हालांकि, ऐसे बहुतरे सवालों ने लोगों के मन में हजारों बाते अभी भी एक उलझे धागे के मानिंग उलझी ही हुई है. अगर कुछ चिजों को उल्लेख करें तो 2012 के पी2पी फाउंडेशन प्रोफाइल के अनुसार, नाकामोता जापान के रहने वाले 37 साल के एक व्यक्ति थे. उनके नाम से यह तस्दीक होती है कि वह जापानी मूल के थे. हालांकि, अभी तक कोई सच्चाई सामने नहीं आई है. वैसे कुछ भाषण के विवरण बताते है कि वह हकीकतन वह मूल रुप से अंग्रेजी वक्ता थे. उनके फोरम पर पोस्ट किए गए संदेशों और बिटकॉइन स्रोत कोड पर टिप्पणियों में कई बार ब्रिटिश अंग्रेजी अभिव्यक्तियों का उपयोग किया गया. इसके अलावा भी जो संकेत मिले हैं. उसके मुताबिक बिटकॉइन नेटवर्क पर खनन किए गए पहले ब्लॉक में, उन्होंने लंदन टाइम्स में प्रकाशित एक लेख का संदर्भ दिया, जिसमें ब्रिटिश सरकार के साथ एक विशेष संबंध का संकेत दिया गया था।
अभी भी रहस्य बना हुआ है
दूसरी चिज देखने और समझने की तरफ देखे तो उनकी इंटरनेट पर गतिविधियों के समय का विश्लेषण बताता है कि वह जापान में रहने वाले किसी व्यक्ति के सोने के घंटों से इत्तेफाक नहीं रखता . इससे यह बाते सामने आती है कि नाकामोता शायद उस देश में नहीं रहते थे.अभी तक जो बाते और चिजे सामने आई है कि आखिर सातोषी खुद को दुनिया के सामने क्यों नहीं आए. ये अपने आप में एक बड़ा रहस्य कायम है. उनके ईर्द-गिर्द चिजे इस तरह पर्दे में रखी गई है कि कोई आज तक सटीक जान नहीं सका. सवाल है कि फिर सातोषी नाकामोता ने बिटकॉइन बनाने या शुरु करने की क्यों सोची?. आखिर इस शख्स ने अचानक दुनिया में ऐसी डिजिटल करंसी क्यों लाई ?, उसके पीछे क्या वजह थी?. नाकामोता ने बिटकॉइन बनाने की जो वजह बताई, वह बिल्कुल साफ-सुथरी थी. उनका बिटकॉइन बनाने का मकसद व्यक्तियों को उनके पैसे का नियंत्रण वापस देना था. बेशक, इसमें एक विकेंद्रीकृत वित्तीय प्रणाली को लागू करके सार्वजनिक प्राधिकरणों के हाथों से सत्ता छीनना शामिल है. आज़ादी औऱ खुलापन की यह प्यास एक बहुत ही खास संदर्भ में पैदा हुई थी. उस समय, दुनिया सेन्ट्रल और कॉमर्शियल बैंकों के खराब मैनेजमेंट के कारण बेहद खराब वित्तीय संकट से जूझ रही थी. खासकर 2008 का संकट दुनिया के वित्तिय बाजारों को झकझोर कर दिया था .खासकर ये सब अमेरिकी रियल एस्टेट क्षेत्र में तेज गिरावट के कारण पैदा हुई थी. बैंको ने अधिक से अधिक कर्ज दिए थे, जिसका खामायिजा ये रहा कि दिवालिया हो गए. इससे काफी नुकसान देखने को मिला. इससे एक चिज देखने को मिली कि पारंपरिक वित्तीय प्रणाली की कमजोरियां उजागर होकर सतह पर आ गई. इसके चलते मुद्रा के विकेन्द्रीकरण की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया.
आखिर बिटकॉइन के मालिक के पास कितना पैसा है ?
प्रश्न ये भी उठते है कि बिटकॉइन के जनक सातोषी नाकामोता के पास आखिर कितनी यह करंसी है. तो बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी के जानकर सर्जियो लर्नर की माने तो सातोशी के पास तकरीबन 1 मिलियन बिटकॉइन हैं. यह अनुमान बिटकॉइन ब्लॉकचेन के विश्लेषण से निकला गया है जिसमें उन्होंने अपेक्षाकृत सटीक रूप से उन पतों को अलग किया है जो शायद सातोशी नाकामोता का हैं. यह जानते हुए कि बिटकॉइन की अधिकतम आपूर्ति 21 मिलियन सिक्कों तक सीमित है, नाकामोटो के पास अकेले लगभग 5% है.
लाजमी है कि बिटकॉइन के जनक सातोषी अरबपति है. लेकिन आज तक उनकों दुनिया देख नहीं सकी और न ही कोई सटीक जानकारी ही. इस शख्स के बारे में अभी तक मालूम पड़ी है. गुमनामी के अंधेरे में आज भी है. सभी की दिलचस्पी आगे इसी पर बनीं रहेगी कि आखिर कब इससे पर्दा उठेगा.
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