रांची(RANCHI): झारखण्ड समेत पूरे देश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैन कर दिया गया है. ऐसे में झारखंड में बनाए जाने वाले दोना, पत्तल समेत अन्य चीजों की डिमांड बढ़ने की उम्मीद थी.लेकिन ऐसा हुआ नहीं. राजधानी राँची के डेली मार्केट के आस-पास दोना, पत्तल जैसी सामग्रियों को बेचने वाली महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. उनके द्वारा बनाये गए सामग्रियों के लिए खरीदार नहीं मिल रहा है. जबकि इनकी कीमत बेचे जानी वाली कागज से बने सामग्रियों से कम है और इससे सेहत को भी कोई नुकसान नहीं होता है.
सुबह से शाम तक महिलायें करती हैं सामान बिकने का इंतजार
ये महिलाएं कई किलोमीटर दूर से राजधानी रांची आती हैं.इस उम्मीद में कि इनके द्वारा बनाए जाने वाले दोना, पत्तल समेत कई अन्य चीजें शहर में आसानी से बिक जाएगी. लेकिन ऐसा होता नहीं है. इन्हें अपनी सामग्रियों को बेचने के लिए सुबह से लेकर शाम तक का इंतजार करना पड़ता है. फिर भी इन्हें इनके मेहनत से बनाए गए चीजों को बेचकर कुछ ही पैसे मिलते हैं. ये इन्हीं पैसों में जैसे-तैसे अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रही हैं. ये अपनी जान जोखिम में डाल कर जंगल से सखुआ के पत्तों को तोड़ कर लाती हैं.और उसी से इन सामग्रियों को बनाती हैं.
गर्मी, ठंड, बरसात सभी मौसम में यहीं पर.प्राकृतिक चीजों को बेचती हैं.लेकिन शुरू से इनका यही हाल रहा है. जरूरत है कि लोग इन चीजों को खरीदें ताकि प्राकृति को कोई नुकसान ना पहुंचे और इन लोगों का भी गुजारा चल सके. द न्यूज़ पोस्ट के लिए रांची से निरज कुमार की रिपोर्ट.

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