जमशेदपुर (JAMSHEDPUR): एक तरफ जहां भारत सरकार और राज्य सरकार एक-एक बच्चे की सरकारी स्कूल में नामांकन को लेकर कई तरह के अभियान चला रही है. वहीं दूसरी ओर पोटका प्रखंड के जामदा पंचायत के जामदा के 17 बच्चे नामांकन से वंचित हो गए हैं. इससे नाराज़ ग्रामीणों ने स्कूल के सामने प्रदर्शन कर प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

क्या है मामला

शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्रत्येक बच्चे को शिक्षा देना मूलभूत अधिकार है. मगर ग्रामीण बच्चों को इस अधिकार से वंचित रहना पड़ रहा है. साल 2018-19 में प्राथमिक विद्यालय जामदा को प्राथमिक विद्यालय भलाईडीह में मर्ज कर दिया गया था. मगर एक साल के बाद ही प्राथमिक विद्यालय भलाईडीह का भवन जर्जर हो गया. इसके बाद उपायुक्त के निर्देश पर भवन को तोड़ दिया गया और सभी बच्चों को प्राथमिक विद्यालय ऊलानसाई में हस्तांतरित कर दिया गया. ऐसा करने से बच्चों के लिए घर से स्कूल की दूरी काफी बढ़ गई. इस 3 किलोमीटर की दूरी को तय करने के दौरान बच्चों को रास्ते में तालाब, डोभा, मेन रोड और नदी पार करना पड़ता है. ऐसे में अभिभावकों के बीच बच्चे की सुरक्षा को लेकर भी चिंता उत्पन्न हो गई. दूरी और मुश्किलों को देखते हुए  जामदा के 17 बच्चों का नामांकन अब तक नहीं हो पाया है. बच्चों की पढ़ाई से दूरी अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बन गई है.

क्या है अभिभावकों का कहना

बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि हम सब किसान हैं. खेतों के काम में लगे रहते हैं. ऐसे में बच्चों को हर रोज़ इतनी दूर स्कूल में छोड़ना और वापस लाना उनके लिए मुश्किल है. वहीं प्राथमिक विद्यालय जामदा का बिल्डिंग काफी दुरुस्त है.  ग्रामीणों की मांग है कि इसी बिल्डिंग में पठन-पाठन का कार्य शुरु होना चाहिए. ताकि यहां बच्चों का नामांकन कर पढ़ाई सुनिश्चित हो सके. वहीं बड़े बच्चे इधर-उधर नामांकन कराए हैं.  मगर वह भी विद्यालय नहीं जाने से ड्रॉप आउट हो चुके हैं.

नियम को ताक पर रखकर लिया गया फैसला

मामले में वार्ड सदस्य विमल मंडल का कहना है नियम को ताक पर रखकर, अवैध तरीके से विद्यालय को 3 किलोमीटर दूर हस्तांतरण किया गया है. ऐसा करने से छोटे-छोटे बच्चों का विद्यालय जाना असंभव हो रहा है. जिसके कारण 17 बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं.

रिपोर्ट: रंजीत ओझा, जमशेदपुर