RANCHI: नोट के बदले वोट मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा सीता सोरेन के खिलाफ अचानक से  आक्रमक होती नजर आने लगी है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल ने फैसले का स्वागत करते हुए इस बात का दावा किया है कि इस फैसले के बाद झारखंड की सियासत भी बदलने वाली है. उनके निशाने पर पूर्व सीएम हेमंत की भाभी विधायक सीता सोरेन हैं. यहां बता दें कि 2012 में राज्यसभा चुनाव के दरम्यान सीता सोरेन के खिलाफ नोट के बदले वोट देने का आरोप लगा था. उनके आवास पैसे की बरामदगी भी हुई थी. जिसके बाद सीता सोरेन के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया था. जिसके बाद सीता सोरेन ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर राहत की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी अपील को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीता सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राहत की मांग की गयी, आज भी वह सुप्रीम कोर्ट में यह मामला पेंडिंग है.

लम्बे समय से सीता पर है भाजपा की नजर

ध्यान रहे कि लम्बे अर्से से भाजपा की नजर सीता सोरेन पर है. दावा किया जाता है कि कोल्हान की गीता के बाद बाबूलाल की नजर संताल की सीता को भी कमल की सवारी करवाना की है और भाजपा के सियासी रणनीतिकार लगातार इस पर काम भी कर रहे हैं. हेमंत की गिरफ्तारी के बाद उपजे सियासी संकट के बीच भी बाबूलाल की सीता को अपने पाले में लाने की तैयारी में थें. लेकिन उस संकट की घड़ी में सीता ने परिवार का साथ छोड़ने से इंकार कर दिया. दावा किया जाता है कि इसी के बाद सीता के साथ भाजपा का सियासी संवाद फंसता नजर आने लगा. इस बीच जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, पूरी भाजपा सीता पर टूट पड़ी. हालांकि सियासी जानकारों का अभी भी दावा है कि सीता को लेकर भाजपा ने अभी भी आशा नहीं छोड़ी है. इस हमले के पीछे भी एक सियासी रणनीति है. सीता के अंदर एक डर बैठाने की कोशिश है. ताकि वह टूट कर भाजपा के साथ आ खड़ी हो. इसके पहले भी पूरे देश में जिन- जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा. ईडी से लेकर सीबीआई की फाईल खुली. कमल की सवारी करते ही उनकी फाइलों को तहखाने में दफन कर दिया गया. अभी हाल ही में झारखंड की सियासत में भाजपा का यह चेहरा देखने को मिला था, जिस मधु कोड़ा को भाजपा के सियासतदान झारखंड में भ्रष्टाचार का प्रतीक पुरुष बता रहे थें.  कोल्हान में कांटा फंसते देख कर उसी गीता में भाजपा का अपना सियासी भविष्य नजर आने लगा. खुद प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में मधु कोड़ा का नाम ले-ले कर लेकर कोड़ा दंपति को झारखंड में भ्रष्टाचार की प्रतीक बताते रहे थें. सियासी जानकारों का दावा है कि इस हालत में यदि सीता सोरेन भी कमल की सवारी कर लेती है, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. इसके साथ ही भाजपा को संताल में इंट्री मिल जायेगी और बदले में सीता को कानूनी लफड़े से मुक्ति.सियासत में कुछ भी असंभव नहीं है, अब देखना होगा कि सीता पर बाबूलाल का यह अटैक कितना रंग लाता है.

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