धनबाद (DHANBAD) : झारखंड में जमीन की रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन में तरह-तरह की गड़बड़ियों की शिकायत लगातार मिलती रही है. अब भूमि सुधार एवं निबंधन विभाग ने इसके नियम में बदलाव किया है. अब कार्यालय में बैठ कर रिपोर्ट नहीं तैयार की जा सकती है. अब जमीन की भौतिक जांच होगी. अगर किसी का दावा  और आपत्ति होगा, तो कर्मचारी उसकी भी जांच करेंगे. स्थल निरीक्षण के बाद जमीन पर खींची गई तस्वीर जियो टैगिंग के साथ झारभूमि पोर्टल पर अपलोड करेंगे. उसके बाद म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू होगी.  राजस्व कर्मचारी की रिपोर्ट सीआई  के लॉग इन  में जाएगी.  

सीआई से स्वीकृति के बाद सीओ के लॉग इन  में भेजी जाएगी. राजस्व कर्मचारी और सीआई की रिपोर्ट से संतुष्ट होने पर ही सीओ  म्यूटेशन की स्वीकृति देंगे. हालांकि अंचल कार्यालय को यह पूरी प्रक्रिया 30 दिनों में पूरी करनी है.  इस संबंध में पिछले दिनों विभाग की ओर से राज्य के सभी जिलों के सीओ और राजस्व कर्मियों को ट्रेनिंग भी दी गई थी. नए नियम से यह जांच हो जाएगी कि जमीन रैयती  है या सरकारी. दावा-आपत्ति  की जांच भी हो जाएगी. इससे म्यूटेशन में फर्जीवाड़े की संभावना कम रहेगी. राजस्व कर्मी  म्यूटेशन में मनमानी नहीं कर पाएंगे. इसके पहले जमीन की रजिस्ट्री के बाद दस्तावेज को सीओ के लॉग इन में जाते थे. सीओ  राजस्व कर्मियों को जांच के लिए भेजते थे.  

राजस्व कर्मचारी भौतिक निरीक्षण किए बिना अंचल या हल्का कार्यालय में बैठे-बैठे पंजी दोऔर नक्शा देखकर जांच रिपोर्ट भेज देते थे. ऐसे में केवल जांच की   औपचारिकता पूरी होती थी.  उसके आधार पर सीओ दाखिल -खारिज की अनुमति दे देते थे या रिजेक्ट कर देते थे. अब राजस्व कर्मी को प्लॉट पर जाकर उसकी प्रकृति और दावा-आपत्ति का भौतिक सत्यापन करना है.  झारभूमि पोर्टल पर मौके की तस्वीर अपलोड कर जांच रिपोर्ट देनी है. यह व्यवस्था समूचे झारखंड में लागू की गई है. 

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो