पटना(PATNA)- अनुसूचित जाति मंत्री रत्नेश सदा ने पूर्व मंत्री जीतन राम मांझी पर बड़ा हमला बोला है, उन्होंने कहा कि कभी राम के अस्तित्व को नकार, तो कभी मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अपना आदर्श मानने से इंकार कर सुर्खियों में छाने वाले जीतन राम मांझी जय भीम का पाठ करते हुए आखिरकार भाजपा की गोद में बैठ ही गयें. यही उनका असली चेहरा था, जय भीम तो महज एक मुखौटा था, जिसकी की दलित वोटों की गोलबंदी की जा सके. जिसका लाभ आखिरकार भाजपा उठा सके.
नीतीश कुमार के सीने में भोंका छुरा
मंत्री रत्नेश सदा ने कहा कि जीतन राम मांझी ने अपने राजनीतिक महत्वकांक्षाओं की वजह से पूरे मुसहर भुईयां समजा को कलंकति करने का कार्य किया है, उन्होंने उस नीतीश कुमार के सीने पर छुरा भोंका है, जिसने बार बार मुसहर समाज को सम्मान दिया. पर्वत पुरुष दशरथ मांझी को अपनी कुर्सी पर बिठाया, और खुद जीतन राम मांझी को सीएम बनाया, क्या जीतन राम मांझी ने अपने सपने में भी सीएम बनने का ख्बाव भी देखा था, लेकिन यह नीतीश कुमार का मुसहर और अन्य वंचित समाज के प्रति समर्पण था कि उन्होंने जीतन राम मांझी को बुलाया कर सीएम की कुर्सी पर बिठाया. लेकिन यह सम्मान भी जीतन राम मांझी को पच नहीं सका और वह भाजपा की गोद में जाकर बैठ गयें.
पूरे मुसहर समाज का यह अपमान है
रत्नेश सदा ने कहा कि जीतन राम मांझी खुद ही बतायें कि क्या वह कभी नीतीश कुमार से मिलने के पहले अपना चप्पल खोला था, लेकिन देखिये अमित शाह से मिलने के पहले उन्हें अपना चप्पल तक खोलना पड़ा, यह होता है सम्मान. जीतन राम मांझी की इस हरकत से पूरे मुसहर समाज का अपमान हुआ है.
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