दुमका (DUMKA): लंबी लड़ाई के बाद 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग झारखंड राज्य बना. अलग राज्य बनने से हर तरफ खुशी का माहौल देखा गया लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो झारखंड की वर्तमान भौगोलिक सीमा से संतोष करने वाले नहीं है, क्योंकि ऐसे लोगों ने जिस वृहत झारखंड राज्य के लिए आंदोलन किया वह आज भी सपना बना हुआ है और सपना को साकार करने के लिए एक बार फिर आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गए है. हम बात कर रहे है झारखंड पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा की जिन्होंने दुमका परिसदन में प्रेसवार्ता के दौरान वृहत झारखंड राज्य के लिए चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की.

भोगनाडीह बबाल पर बोले सूर्य सिंह बेसरा, राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन

परिसदन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान सूर्य सिंह बेसरा ने हूल दिवस के दिन भोगनाडीह में हुए बबाल को शासन की विफलता और प्रशासन की बर्बरता करार देते हुए साहिबगंज डीसी, एसपी, एसडीओ और बरहेट थाना प्रभारी को बर्खास्त करने की मांग के साथ साथ राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की.

वृहत झारखंड राज्य के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार से हुई थी वार्ता

सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन हुआ, लेकिन अलग झारखंड राज्य का मतलब सिर्फ बिहार से अलग अलग झारखंड राज्य नहीं बल्कि वृहत झारखंड राज्य की मांग थी, जिसमें बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और वर्तमान छत्तीसगढ़ के झारखंडी सांस्कृतिक पहचान वाले जिलों को मिलाकर वृहत झारखंड राज्य की मांग थी और इस बाबत 1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री और बूटा सिंह गृह मंत्री थे तो वार्ता भी हुई थी.

जानिए वृहत झारखंड राज्य में पड़ोसी राज्य का कौन-कौन जिला शामिल

उन्होंने कहा कि वृहत झारखंड राज्य में बिहार के बांका, जमुई, मुंगेर और भागलपुर जिला शामिल है. क्योंकि इन क्षेत्रों में बाबा तिलकामांझी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उसी तरह पश्चिम बंगाल के मिदनापुर, बांकुड़ा, पुरुलिया, उड़ीसा के मयूरभंज, क्योंझर, संबलपुर और सुंदरगढ़ जबकि छत्तीसगढ़ के सरगुजा और रायगढ़ जिला वृहत झारखंड राज्य में शामिल है.

नई मांग में सुल्तानगंज भी शामिल ताकि वैद्यनाथ को अर्पित हो सके गंगाजल

उन्होंने कहा कि नए सिरे से  वृहत झारखंड राज्य की सीमा में सुल्तानगंज को भी जोड़ा गया है ताकि वहां से गंगा जल लेकर देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ पर चढ़ाया जा सके.