पलामू(PALAMU): बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने झारखंड नियोजन से मगही भाषा को बाहर करना दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने कहा कि दलित समाज का बहुत बड़ा वर्ग बोलचाल में मगही भाषा का ही इस्तेमाल करतें हैं. परंतु, दुर्भाग्य है कि झारखंड राज्य में नियोजन के लिए इस भाषा को शामिल नहीं किया गया है. इससे दलित वर्ग की सरकारी नौकरियों में भागीदारी प्रभावित हो सकती है. उन्होंने कहा कि जबतक शिक्षा पर समाज के सभी वर्ग को एक समान अधिकार नहीं मिलता है. तब तक ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाना संभव नहीं है.
दलित समुदाय के समारोह में शामिल होने पहुंचे थे पलामू
जीतन राम मांझी ने ये सारी बातें दलित समुदाय के एक समारोह में कही. ये समारोह पलामू जिले के हरिहरगंज प्रखंड के पिपरा घाघरा गांव में आयोजित किया गया था. मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का उद्घाटन किया गया. उनके अलावा विशिष्ट अतिथि छतरपुर विधायक पुष्पा देवी तथा पूर्व सांसद मनोज भुइंया, आजसू नेता कुशवाहा शिवपूजन मेहता ने भी समारोह को संबोधित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन बलदेव भुइंया ने किया. मौके पर भाजयुमो जिला उपाध्यक्ष राजीव रंजन, राजद नेता कमलेश कुमार यादव, आजसू जिला अध्यक्ष दिलीप चौधरी, श्रवण भुइयां, प्रसाद भुइयां, पंसस रामजी पासवान, धर्मेंद्र पटेल, रंजीत पासवान, विनोद पासवान, रंजीत मेहता, अशोक पासवान, जनेश्वर भुइया, विकास भुइयां सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे.
रिपोर्ट: कृष्णा गुप्ता, हरिहरगंज(पलामू)
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