रांची ( RANCHI) - झारखंड का निर्माण राज्य में निवास करने वाले दबे कुचले आदिवासियों के उत्थान के लिए हुआ था, लेकिन उनकी स्थिति जस की तस है . कुछ लोग रातों रात अरबपति और खरबपति बन गए , बिहार के छोटे इलाकों के साधारण परिवार से ताल्लुकात रखने वाले कुछ चतुर और महत्वाकांक्षी युवा झारखंड में किस्मत आजमाने पहुंचे, फिर यहाँ के सत्ता में जगह बनाई और फिर क्या खेल शुरू हुआ , कहानी फिल्मी लेकिन रीयल है .
पूजा का पति अभिषेक झा
IAS पूजा सिंघल के दूसरे पति अभिषेक झा के पिता झारखंड में राज्य प्रशासनिक अधिकारी थे, खुद छोटे मोटे कारोबार करते हुए पूजा के नजदीक पहुंचे, फिर इतना नजदीक हुए कि हमेशा के लिए पूजा उनकी हो गई, रसूक बढ़ गया, लखपति से सीधे अरबपति बन गए , समाज में उनका रुतबा सिर चढ़ कर बोलने लगा , बड़े अस्पताल के मालिक बन बैठे फिर आगे कि कहानी तो आपको पता ही है , ये तो बात थी निलंबित आईएएस पूजा सिंघल के पति अभिषेक झा की, इसके बाद अब बात करेंगे इन्ही के और भी बिहारी छैलों की जो झारखंड में आकर राज कर रहे हैं,
कुछ साल में ही बन गए करोड़ों-अरबों के मालिक
IAS पूजा सिंघल और उनके पति अभिषेक झा के अवैध कमाई को सीए सुमन कुमार सिंह रखते थे. अभिषेक झा के माध्यम से ही ca सुमन कुमार सिंह भी धीरे धीरे आगे बढ़ा, सुमन सीए की पढाई के बाद ज्योतिष का काम भी करता था., लेकिन अभिषेक झा के सहयोग से वह आईएएस अधिकारियों का हाथ देखकर उनकी किस्मत की भविष्यवाणी करने लगा, फिर अच्छे संबंध बना कर उनकी काली कमाई को शेल कंपनियों में खपाने लगा. वो अभिषेक झा और पूजा सिंघल की छत्रछाया में ऐसे आगे बढ़ा कि उसके ही घर से 23 करोड़ रुपये ed को छापेमारी में हाथ लगे.. ये पैसे किसके हो सकते हैं अब बताने की जरूरत नहीं.
IAS अधिकारियों की जमती थी महफिल
तीसरा बिहारी छैला है विशाल चौधरी, इसका भी कनेक्शन पूजा सिंघल और अभिषेक झा से है, कुछ साल पहले ही मुजफ्फरपुर से रांची आया, कभी छोटी छोटी कंपनी चलाने वाला विशाल चौधरी अभिषेक झा के माध्यम से IAS अधिकारियों के बीच अपनी पैठ जमाने लगा, पैसे खपाने और चिकनी चुपड़ी बातें करके लोगों को फ़ंसाने वाले बड़े बड़े अधिकारियों को अपना राजदार बनाता गया, इसकी लिस्ट में केवल पूजा सिंघल ही नहीं कई आईएएस और अन्य अधिकारी हैं. कुछ दिन में ही उसने ऐसी पैठ जमायी कि उसके अशोक नगर आवास पर तमाम बड़े रसूखदारों की महफिल जमने लगी, इसके बंगले पर हाई सोसाइटी parties होती थी, शबाबों का दौर चलता था, नामी गिरामी लोग पहुंचा करते थे लेकिन सब कुछ अंधेरे में...
काली कमाई से अय्याशी
लोगों को करोड़ों कमाने में जिंदगी बीत जाती है, फिर भी वह कमा नहीं पाते और बिहारी छैले झारखंड को दोनों हाथ से लूट कर अय्याशी कर रहे हैं. और इसमें उनका साथ कोई और नहीं झारखंड के ही IAS अधिकारी ही दे रहे हैं. कोई बीएससी पास, कोई थोड़े बहुत पढ़ा लिखा, जिसने कभी रोजगार का मुंह नहीं देखा होगा, रोजी रोटी के परेशान हुआ होगा वो आज झारखंड आकर खाकपति से करोड़पति बन गया. अब ये झारखंड के लिए सौभाग्य बोलिए या दुर्भाग्य, झारखंड का निर्माण उत्थान के लिए हुआ था, लेकिन ऐसे कहानियों से राज्य की नियति नहीं बदली, आगे और कौन कौन सी कहानियाँ सामने आएंगी ये देखने वाली बात होगी .
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