बेगूसराय(BEGUSARAI): धर्मांतरण विरोधी कानून बिहार में बनेगा या नहीं, इसको लेकर सरकार में शामिल दो प्रमुख दल की राय अलग-अलग है.  भाजपा इसके पक्ष में है, जबकि जदयू को इसकी जरूरत नहीं लगती.  पिछले सप्ताह पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में धर्मांतरण विरोधी कड़े कानून की मांग उठाई थी. इसके अलावा भी भाजपा के कई नेता कानून को बनाने की मांग करते आए हैं.  लेकिन 8 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कह दिया कि राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून की कोई जरूरत नहीं है। नीतीश का कहना है कि बिहार में पूरी तरह एकता है और सभी समुदाय के लोग शांति से एकसाथ रह रहे हैं। अब फिर भाजपा के एक नेता ने राग दुहराया है राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने बिहार में धर्मांतरण कानून बनाने की मांग उठाई है. 

कांग्रेस ने 6 राज्यों में बनाए थे कानून

बेगूसराय में  राकेश सिन्हा ने कहा कि पूरे देश में धर्मांतरण कानून बनना चाहिए. कांग्रेस के शासनकाल में भी देश के 6 राज्यों में धर्मांतरण कानून बना था. देश के कोई भी हिस्से में धर्मांतरण की अनुमति नहीं दी जाए. संविधान के प्रावधानों के तहत कानून आवश्यक और अनिवार्य है. देश के बाहर कुछ ऐसी ताकतें हैं जो धन और मस्तिष्क का उपयोग कर भारत में अस्थिरता पैदा करना चाहती हैa. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उनके मंसूबों को भारत की 130 करोड़ जनता पूरा होने नहीं दे रही है.

कानपुर में असमाजिक तत्वों को सरकार ने सबक सिखाया

कानपुर में असमाजिक तत्व सामने आए तो, उन्हें सरकार ने कम समय में सबक सिखा दिया . समाज को छलनी बना देना चाहने वाले तत्वों को चिन्हित करना चाहिए. और उन्हें नियंत्रित करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र सभी देशों से अपेक्षा रखता है कि समाज के प्रति विशेष सुरक्षा की भावना हो. हिंदू जहां अल्पसंख्यक हैं उन्हें धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है. धर्म के प्रचार का अधिकार है. अगर संयुक्त राष्ट्र ऐसा नहीं करता है तो संयुक्त राष्ट्र दोहरा मापदंड अपना रहा है.