धनबाद(DHANBAD); बिहार में सभी दलों का एक्शन तेज है. एनडीए भी सक्रिय है, तो महागठबंधन भी सीएम फेस को लेकर चल रही किच -किच को खत्म करने के लिए आगे बढ़ रहा है. जानकारी के अनुसार 17 अप्रैल को महागठबंधन के नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक प्रस्तावित है. इस बैठक में क्या निर्णय होगा, यह तो अलग बात है, लेकिन इसके पहले सूत्रों के अनुसार 15 अप्रैल को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आवास पर राहुल गांधी,कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और तेजस्वी यादव की बैठक भी हो सकती है. इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव पर चर्चा होगी. तेजस्वी यादव की यह दिल्ली यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है. फिलहाल महागठबंधन में सीट शेयरिंग से अधिक मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर मामला गर्म है.
राजद तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित कर चुका है
राजद तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित कर चुका है. तेजस्वी यादव ने भी इसके संकेत दिए है. लालू यादव ने भी मोतिहारी में कहा था कि 2026 में तेजस्वी की सरकार बनने से कोई रोक नहीं सकता. लेकिन कांग्रेस के बड़े नेता तेजस्वी यादव के नाम पर हरी झंडी देने को तैयार नहीं दिख रहे है. माना जा रहा है कि दिल्ली की बैठक में इस पर चर्चा होगी. इधर ,सूचना मिली है कि पशुपति कुमार पारस ने बिहार चुनाव से पहले सोमवार को बड़ी घोषणा कर दी है. उन्होंने कहा है कि आज से उनकी पार्टी का एनडीए से कोई रिश्ता नहीं रहेगा. विधानसभा चुनाव में जहां सम्मान मिलेगा, उस गठबंधन में हम लोग जाएंगे. पशुपति पारस भीमराव अंबेडकर जयंती पर पार्टी द्वारा आयोजित संकल्प सम्मेलन में बोल रहे थे.
रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की कर दी मांग
उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग भारत सरकार से की. बता दे कि लोकसभा चुनाव से पहले ही पशुपति पारस एनडीए से अलग हो गए थे. उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया था. बीते लोकसभा चुनाव में एनडीए के सीट बंटवारे में एक भी सीट पशुपति पारस की पार्टी को नहीं मिली थी. जबकि चिराग पासवान को 5 सीट मिली थी. जिसके बाद से ही पशुपति पारस नाराज चल रहे थे. हाल ही में दही चुड़ा के भोज पर उनके घर पर लालू प्रसाद यादव भी पहुंचे थे. जिसके बाद से उनके महागठबंधन में जाने के अटकले तेज हो गई थी. इसके पहले भी पशुपति पारस लगातार केंद्र की मोदी सरकार और नीतीश सरकार को घेरते आ रहे है. पशुपति पारस कह चुके हैं कि बिहार में बीमारू सरकार है. सरकार की मानसिक संतुलन भी ठीक नहीं है. अब देखना है कि चुनाव के पहले ऊंट किस करवट बैठता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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