पटना(PATNA): नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी के बीच दोस्ती किसी से छुपी नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार जैसे ही एनडीए छोड़ कर महागठबंधन में शामिल हुए, सुशील मोदी नीतीश कुमार पर जम कर हमला कर रहे हैं, मीडिया को दिए एक बयान में सुशील मोदी ने कहा कि महागठबंधन वाली नीतीश सरकार को घेरने के लिए भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ेगी. 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने के वायदे और किसानों की ऋण माफी को लेकर पूरे राज्य में भाजपा जन-आंदोलन करेगी.
राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर निशाना साधते कहा कि ललन सिंह हमेशा आरसीपी सिंह से ईर्ष्या करते थे, अंदर ही अंदर वे जलते थे कि आरसीपी सिंह मंत्री बन गए और वे मंत्री नहीं बन पाए. इसलिए वे राजद से हाथ मिलाने की मौके में थे, जैसे ही मौका मिला,उन्होंने राजद से मिला लिया. सुशील मोदी ने नीतीश के दावे को गलत बताते कहा कि आरसीपी सिंह स्वयं मंत्री बन गए तो उन्होंने पीएम और राज्यसभा के चेयरमैन को पत्र क्यों नहीं लिखा. उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए क्यों कहा. इससे बड़ा सफेद झूठ और क्या हो सकता है. सच्चाई यह थी कि गृह मंत्री अमित शाह से बात होने के बात नीतीश ने आरसीपी सिंह का नाम भेजा और वे 13 महीने मंत्री रहे.
सुशील कुमार ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते कहा कि हर दो साल पर उनकी महत्वाकांक्षा हिलोरें मारने लगती है. कभी पीएम बनने की तो कभी उपराष्ट्रपति बनने की. जब महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होती, वे पलटी मार देते हैं. नीतीश कुमार के महत्वाकांक्षा की वजह से बिहार में पिछले एक दशक से स्थायी सरकार नहीं बन पा रही है, कभी नीतीश, तो कभी मांझी, तो राजद के साथ. जिससे बिहार के विकास को गति नहीं मिल पा रहा है.
सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर हमला करते कहा कि था मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन आरएसएस से हाथ नही मिलाऊंगा, फिर क्यों आए थे हमारे साथ. फिर कहा कि मैं लालू से हाथ नहीं मिलाउंगा, क्यों चले गए लालू के पास. इनकी लोकप्रियता कम होते जा रही है जनाधार घटता जा रहा है. भाजपा नेता ने कहा कि नीतीश कुमार की अति महत्वाकांक्षा और ललन सिंह की जलनशीलता और बिहार में सरकार बनाने की बेकरारी ने नैतिकता को ताक पर रख कर तीनों को एकजूट होने का मौका दे दिया. जैसे ही तीनों का मिलन हुआ, एनडीए गठबंधन टुट गया और महागठबंधन में जदयू शामिल हो गया.
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