TNP STORY: गैंग ऑफ वासेपुर और डॉन का किरदार फैजल खान...जिसका डायलॉग बाप का दादा का सबका बदला लेगा तेरा फैजल..ये तो याद ही होगा....लेकिन चलिए आज इस कहानी की सच्चाई बताते है. फ़हीम खान के किरदार में जो फैजल खान दिखे. वह कुछ भी नहीं है. फिल्मी फैजल खान से भी ज्यादा डेंजरस ओरिजनल वाले फ़हीम खान है. वासेपुर की कहानी फिल्म में अधूरी सी दिखाई गई है. हकीकत इससे बहुत अलग है. आज बात उसी वासेपुर की करेंगे. कैसे डॉन फ़हिम खान बन गया और इनके पिता के साथ क्या हुआ था.
सबसे पहले वासेपुर की बात कर लेते है. इसी मोहल्ले में फ़हीम खान और उनके पिता रहते थे. लेकिन इस बीच अचानक 1983 में धनबाद के एक पेट्रोल पंप पर फ़हीम खान के पिता शफ़ी खान की हत्या कर दी. शफ़ी खान तोपचाँची झील से लौट रहे थे. बताया जाता है कि झील में शफ़ी खान ने मछली का टेंडर लिया था. और वह हर दिन मछली मारने झील जाते थे. हर सुबह अपनी अंबेसडर कार से झील जाते और फिर वहां से लौट जाते. इसी बीच इनके दुश्मन को यह जानकारी लगी की हर दिन शफ़ी खान का आना जाना लगा है.
ऐसे में पूर्व से नया बाजार और वासेपुर के बीच गैंगवार चल रही थी तो नया बाजार के लोगों ने योजना बनाई. और पेट्रोल पंप पर हमला बोल दिया. इस समय शफ़ी खान अपने कार में पेट्रोल ले रहे थे. इस हमले में 10 के करीब लोग शामिल थे. बताया जाता है कि जब अपराधी पहुंचे तो पेट्रोल पम्प पर मौजूद कर्मियों ने भी शफ़ी को बचाने की कोशिश की थी. और बदमाशों पर लाठी डंडे से हमला कर दिया था लेकिन तब तक बदमाशों ने शफ़ी खान को गोली मार दी. हत्याकांड में नया बाजार के बाबला समेत कई लोगों का नाम सामने आया.
अब यह भी जान लीजिए कि आखिर नया बाजार और वासेपुर में कई अदावत थी. नया बाजार और वासेपुर में अक्सर गैंगवार होते रहते थे. दोनों के बीच वर्चस्व जमाने की लड़ाई चल रही थी. आखिर में इसमें हर दिन खून से वासेपुर लाल हो रहा था. आखिर में शफ़ी खान के हत्या के बाद माहौल बदल गया. और फ़हीम खान की इंट्री हुई.
पिता की हत्या से फ़हीम का परिवार टूट सा गया. गहरा सदमा फ़हीम खान को लगा. पिता के जाने के गम से उभर नहीं पा रहे थे. लेकिन बाद में हथियार उठा लिया. वासेपुर और धनबाद को जानने वाले लोग बताते है कि यह वो समय था. जब फ़हिम खान ने कभी हथियार नहीं पकड़ा था और पिता की हत्या के बाद उन्हे उनकी माँ ने ही हथियार उठाने को कहा जिससे पति का बदला पूरा हो सके.
इसके बाद से फ़हीम खान वासेपुर के डॉन के नाम से पहचान बना ली. शुरुआत में यानि 1980 के समय धनबाद के रेलवे टेंडर और स्क्रैप में दबदबा रहता था. इसपर सीधा प्रभाव फ़हीम खान का होता. लेकिन बाद में हालत बदलते चले गए. 90 के दशक में यह काम बदला और स्क्रैप के साथ जमीन के मामले में भी फ़हीम खान की इंट्री हुई. बिना अनुमति कोई भी जमीन पर कोई निर्माण नहीं हो पाता. इसके बाद जब राज्य अलग हुआ तो फिर वासेपुर का डॉन का नाम रंगदारी में सामने आने लगा.
लेकिन 1980 के बाद से फ़हिम खान पर कई मुकदमे हुए. हत्या लूट और रंगदारी के मामले दर्ज होते चले गए. आखिर में फ़हिम खान पर एक सगिर नामक व्यक्ति की हत्या का आरोप लगा. आखिर में इस मामले में फ़हिम खान को उम्र कैद की सजा हो गई. इसके बाद से अब तक फ़हीम खान जेल में ही बंद है.
तो ऐसी कहानी असली डॉन की है. जो फिल्म से बिल्कुल अलग है. अगले कहानी में धनबाद के इस वासेपुर की शुरुआत के बारे में बताएंगे. आखिर क्या है रामधीर सिंह शफ़ी खान और बीपी सिंह का मामला.
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