पटना (PATNA) : बिहार विधान मंडल शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन है. वहीं विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही बीजेपी एमएलसी ने पोर्टिको में हंगामा शुरू कर दिया.  दलित नेता सह पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के अपमान को लेकर सीएम नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग कर रहे है. 

अपमानित शब्दों का प्रयोग का आरोप

इसे लेकर बीजेपी एमएलसी जनक राम ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने सभी समाज को शर्मसार किया है, कभी महिला को, कभी पिछड़े समाज को और कल तो हद हो गया. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को बोलने से मना करना तो अलग बात है जिस तरह से अपमान शब्दों का प्रयोग किया, दलित समझकर उनको अपमान करने की मानसिकता झलक रही है, दलितों को धोखा देकर सत्ता में बैठे हुए हैं, अब माफी मांगने से नहीं होगा इनको इस्तीफा दे देना चाहिए.

विधायकों की ओर से खोला गया मोर्चा

सत्र की शुरुआत होते ही जीतन राम मांझी विधान सभा अध्यक्ष के चैंबर के सामने धरने पर बैठ गयें, उनका दावा है कि जिस भाषा का प्रयोग उनके लिए सीएम नीतीश के द्वारा की गयी है, वह महज इसलिए की गयी है, क्योंकि वह एक मुसहर जाति से आते हैं, यदि जीतन राम मांझी भी किसी मजबूत जाति से आते तो उनके लिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग करने की हिम्मत नीतीश कुमार नहीं कर पातें. भाजपा विधायकों के द्वारा लगातार सीएम नीतीश से इस्तीफे की मांग की जा रही है. विधान सभा के अन्दर नीतीश विरोधी नारे लगाये जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष के विधायकों की ओर से भी मोर्चा खोल दिया गया है.

जानिए क्या है पूरा मामला

सीएम नीतीश ने जीतन राम मांझी को लेकर कहा था कि यह हमारी मुर्खता थी कि उसको सीएम बनाया, इसके साथ ही नीतीश कुमार ने यह भी कहा था कि यह हमारे साथ रहकर भाजपा के लिए काम करते थें, थकहार कर हमें इन्हे बाहर करना पड़ा. उस घटना के बाद सीएम नीतीश के बयान पर जीतन राम मांझी काफी आहत नजर आ रहे थे. विधान सभा से निकलने के बाद जीतन राम मांझी के आवास पर भाजपा नेताओं के साथ उनकी बड़ी बैठक हुई, और उसके बाद इस आपसी तकरार को दलितों का अपमान बताकर  पेश करने की रणनीति बनाई गयी और उसी कड़ी  में जीतन राम मांझी के नेतृत्व में भाजपा ने मोर्चा खोल दिया है.