पटना(PATNA): बिहार की नीतीश मंत्रालय के शिक्षा मंत्री का एक निर्दयता भरा वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. यूं तो बिहार की नीतीश सरकार जनता के समस्याओं का समाधान करने का वादा करती है. इसके लिए मंगलवार से शुक्रवार तक पटना जदयू कार्यालय में जनसुनवाई का कार्यक्रम किया जाता है. इस जनसुनवाई कार्यक्रम में मंत्री आते हैं फ़रयादियों की फ़रियाद सुनते हैं और उनका समाधान भी निकालते हैं. सीएम नीतीश कुमार का भी यही आदेश है की हर फ़रयादियों की फ़रियाद सुनी जाए और उनका समाधान किया जाए. लेकिन आज इसी कार्यक्रम में मंत्री एक फरयादी महिला की बातों को अनसुना करते हुए आगे बढ़ गए. इतना ही नहीं, महिला अपनी फरियाद लेकर मंत्री की गाड़ी के पीछे-पीछे दौड़ती भी रही. लेकिन मंत्री ने गाड़ी रोक कर महिला की फरियाद सुनने की मजाल भी नहीं की. जिसका वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है.

बता दें कि, ये कोई ऐसे वैसे मंत्री भी नहीं थे. ये थे नीतीश सरकार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार. आज बुधवार को भी नियमानुसार पटना जदयू कार्यालय में जनसुनवाई का कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री पहुंचे. ऐसे में अपनी फरियाद लेकर बिहार लोकसेवा आयोग (BPSC) Tre 3.0 के शिक्षक अभ्यर्थी भी शिक्षा मंत्री से मुलाकात करने कार्यालय पहुंच गए. लेकिन इस जनसुनवाई कार्यक्रम में कुछ और ही हो गया. जनसुनवाई की जगह मंत्री फरियादी अभ्यर्थियों की फरियाद को अनसुना कर अपनी गाड़ी में बैठ कर चलते बने. इतना ही नहीं, इस दौरान जब मंत्री गाड़ी में बैठ रहे थे तब अभ्यर्थी मंत्री जी को एक आवेदन भी दे रहे थे लेकिन मंत्री जी ने उसे देखना भी जरूरी नहीं समझा और बाहर फेंक दिया.

हद तो तब हो गई जब मंत्री तक अपनी बात पहुंचाने के लिए एक महिला अभ्यर्थी उनकी गाड़ी के पास पहुंच गई और उनसे बात करने की कोशिश करने लगी. लेकिन फिर भी मंत्री ने उसकी एक न सुनी और गाड़ी का दरवाजा लगाते हुए वह आगे बढ़ गए. वहीं, दूसरी तरफ महिला अभ्यर्थी ने भी हार नहीं मानी और अपनी बात मंत्री तक पहुंचाने के लिए वह उनकी गाड़ी के पीछे-पीछे दौड़ती गई. फिर भी मंत्री जी अपनी गाड़ी रुकवाकर एक बार भी महिला की बातों को सुनने के लिए नहीं रुके.

बता दें कि, बिहार लोकसेवा आयोग (BPSC) Tre 3.0 के शिक्षक अभ्यर्थी Tre 3.0 के सप्लीमेंट्री रिजल्ट घोषित करने की मांग को लेकर शिक्षा मंत्री से मिलने पहुंचे थे. इसके लिए उन्होंने मंत्री को आवेदन भी देने की कोशिश की. लेकिन मंत्री जी के पास उनकी बातों को सुनने का फुरसत नहीं था.