छपरा(CHAPRA):  हमारा देश ऋषि मुनि एवं संतों का देश कहा जाता है. ना जाने इस भारत की धरती पर कितने वीर सपूत एवं ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया.  लेकिन आज एक ऐसे संत के बारे में बताएंगे जो बेलपत्र खाकर बारह साल से जिंदा हैं. उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 12 साल से अन्न ग्रहण नहीं किया है. बेलपत्र, अकवन पत्र, दुभ का भुंगा, खाकर अपना जीवन यापन करते हैं.  ये वही संत हैं जो  क्विंटल का क्विंटल मरीचा का हवन करते हैं. हां थोड़ा सुनने में तो अजीब लगा होगा, लेकिन यह हकीकत है. ये भगवान भोलेनाथ और मां काली का पूजा करते हैं. 

12 वर्षों से कराते आ रहे हैं मरीचा का हवन

हम बात कर रहे हैं बिहार के छपरा के संत जयराम दास उर्फ बेलपतिया बाबा की  जो मां दक्षिणेश्वरी काली मंदिर पानापुर के रसौली गांव में रहते हैं. बाबा गांव के ही मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं. वायुमंडल को शुद्ध करने के लिए और भूत पिचास जैसे साया को भगाने के लिए मरीचा का हवन करते हैं. बाबा का कहना है कि मरीचा का हवन  विश्वामित्र भी करते थे. सावन में मरीचा के हवन करने से भगवान भोलेनाथ खुश हो जाते हैं. इतना ही नहीं उनका कहना है कि जादू टोना भूत प्रेत जैसे साया भी घर से दूर हो जाता है.  इसलिए बाबा मरीचा का हवन कराते हैं. बाबा मरीचा का हवन 12 वर्षों से कराते आ रहे हैं. बाबा से भेंट करने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं और आशीर्वाद लेकर अपने घर जाते हैं. लोगों का कहना है कि बाबा से जो लोग भी अपना दुख प्रकट करते हैं उनका दुख भी हर लेते हैं और लोग खुशी-खुशी अपने घर जाते हैं. यही कारण है कि छपरा के बेलपतिया बाबा लोगों के भगवान रूप हो गए हैं.