कटिहार(KATIHAR): परिवार में बेटों के जन्म पर जश्न की कई तस्वीरें आपने देखी होंगी. रूढ़िवादी समाज आज भी बेटे और बेटी में फर्क करता है. परंतु अब जमाना बदल रहा है और इसके साथ ही समाज की सोच भी बदल रही है. ताजा उदाहरण कटिहार जिले का है. जहां लड़की के पैदा होने पर परिवार वाले मायूस हो जाते हैं . आज भी समाज में कई ऐसे लोग हैं जो गर्भ में बेटी होने की जानकारी होने पर भ्रूण हत्या करवाने से लेकर उसे बोझ समझ पैदा होने के बाद फेंक भी आते हैं. वहीं कटिहार जिले में बेटी के जन्म पर पूरा परिवार ख़ुशी से झूम उठा. बेटी के आने की स्वागत में परिवार ने चार- चाँद लगा दिए. परिवार में 24 वर्षों बाद नन्ही पारी के जन्म होने पर परिवारजन उसे घर लाने के लिए उत्साहित थे. उन्होंने अपने परिवार की नई सदस्य बिटिया के गृह प्रवेश का उत्सव आयोजित किया. बिटिया के जन्म के बाद अस्पताल से बहु और पोती को पालकी में बिठाकर घर लाया.
घर की बहू पुत्रिरत्न को लेकर हुई डोली पर सवार
जी हां यह सुखद तस्वीर कटिहार के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र की है. जहां सरकार की गाइड लाइन से जुड़ा यह खानदान पुत्री के जनमोत्स्व से समाज की रूढ़िवादी परम्परा को आईना दिखा रहा है. परिवार का मुखिया ने कहा कि यह अधिकार उसका ही था, जिसे आज के परिवेश में लोग भूलते जा रहे हैं. भ्रूण हत्या जैसी जघन्य अपराध को डोली में बैठी मेरी बिटिया समाज के उन लोगों से सवाल पूछ रही है कि हम उसी बहु की बेटी हैं , जिस बहु को आपने डोली में बिठाकर घर लाया था. आज की यह तस्वीर बताती है कि आज बेटा ही नहीं बेटी के लिए भी समाज का नजरिया बदल रहा है.
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