पाकुड़: जेल की दीवारें अब सिर्फ सज़ा की नहीं, बल्कि नए जीवन की शुरुआत की भी गवाह बन रही हैं. मंडलकारा पाकुड़ में बंदियों के लिए आयोजित भारतीय स्टेट बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (RSETI) के 12 दिवसीय पेपर बैग निर्माण प्रशिक्षण का समापन बुधवार को हुआ. इस अवसर पर सफल प्रतिभागी बंदियों को उपायुक्त मनीष कुमार, RSETI निदेशक राजेश कुमार मिश्रा, मंडलकारा के कारापाल दिलीप कुमार और वरिष्ठ संकाय अमित कुमार बर्धन ने संयुक्त रूप से प्रशिक्षण प्रमाणपत्र प्रदान किए.

उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम बंदियों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त पहल है. उन्होंने कहा, हुनर वह ताक़त है जो हर चुनौती को अवसर में बदल सकती है. जेल से रिहाई के बाद यही कौशल उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में मदद करेगा. उपायुक्त ने जिले की सखी मंडलों और युवाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे स्वरोजगार के माध्यम से वे आर्थिक आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रहे हैं.

प्रशिक्षण में यह सिखाया गया:

प्रशिक्षण के दौरान बंदियों को पेपर बैग, फाइल, लिफाफा निर्माण, साथ ही विपणन, उद्यमी कौशल, समय प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, प्रोजेक्ट रिपोर्ट निर्माण, बैंकिंग और बीमा जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं. इस प्रशिक्षण की प्रशिक्षक जामताड़ा की रंजू देवी थीं.

मूल्यांकन और मार्गदर्शन:

इस कार्यक्रम का मूल्यांकन नेशनल एकेडमी ऑफ रूडसेटी से प्रतिनियुक्त अधिकारी अरुण नाथ तिवारी और वनपलाशी सरकार ने किया. उन्होंने प्रशिक्षण की गुणवत्ता और बंदियों की सहभागिता को सराहा.

समाज में लौटने की नई उम्मीद:

RSETI निदेशक मिश्रा और कारापाल दिलीप कुमार ने सभी प्रशिक्षुओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण केवल तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक पुनर्वास की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.

यह पहल इस बात का संकेत है कि यदि मौका और मार्गदर्शन मिले, तो जेल के भीतर की जिंदगी भी एक नई दिशा पकड़ सकती है. पाकुड़ प्रशासन की यह पहल सज़ा से सुधार और सुधार से स्वावलंबन की ओर एक प्रेरणादायक कदम बन गई है.

रिपोर्ट : नंद किशोर मंडल / पाकुड़