TNP DESK- बिहार में विकास योजनाओं और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं.  सहरसा जिले के महिषी प्रखंड अंतर्गत कुंदह पंचायत में करीब 5 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा कुंदह-भेलाही सड़क सह पुलिया निर्माण महज 15 दिनों में ही ध्वस्त हो गया. तीन स्पैन वाले इस पुल का एक हिस्सा ढलाई के कुछ ही दिन बाद टूट गया, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया है.

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में लोकल सीमेंट, कोशी नदी का बालू और घटिया सामग्री का उपयोग किया गया. यहां तक कि पीसीसी ढलाई मात्र तीन इंच मोटी की गई, जिसके कारण पुल और सड़क दोनों कमजोर हो गए. ग्रामीणों का यह भी कहना है कि बिना टेंडर और बिना साइनबोर्ड के इतने बड़े स्तर का काम कैसे चल रहा था, यह अपने आप में भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण है.

ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रिय रंजन दास ने सफाई देते हुए कहा कि योजना में बोर्ड लगाने का प्रावधान नहीं था और लगातार पानी भराव के कारण ढलाई प्रभावित हुई. वहीं अधीक्षण अभियंता ने दावा किया कि पुल की ढलाई अधूरी थी और पानी आने के बाद सेट्रिंग समय से पहले हटा दी गई, लेकिन सामने आई तस्वीरें इन दावों को कमजोर करती हैं.

दोषियों पर होगी सख्त कार्रवाई:  ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार 

इस पूरे मामले पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यदि सड़क और पुल मानक के अनुसार नहीं बने हैं तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी. चाहे वह संवेदक हो या विभाग का कोई अधिकारी, लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

विकास योजनाओं की गुणवत्ता पर उठा सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि जब करोड़ों रुपये की लागत से बने पुल की उम्र 15 दिन से अधिक नहीं हो रही, तो विकास योजनाओं की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा जो पुल ढाला गया है वो भी सेट्रिंग खुलने के साथ गिरने की आशंका है.

ग्रामीणों ने मांग किया की उच्च स्तरीय जांच हो इस क्षेत्र में कई योजना इसी तरह विभागीय अधिकारियों के लापरवाही का शिकार हो गया है.