टीएनपी डेस्क(TNP DESK): आपने प्यार और मोहब्बत की ढेरों कहानियां सुनी होंगी. जिसमें लड़का, लड़की मिलते हैं, उनमें प्यार हो जाता है, फिर इसमें विलेन की एंट्री होती है. एक्शन होता है और फिर दोनों प्रेमी और प्रेमिका एक हो जाते हैं. मगर, हम आपको एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जिसमें कोई विलेन नहीं है. कोई एक्शन नहीं है और ना ही लड़का और लड़की मिले हैं. मगर, उनमें प्यार है. ये प्यार कैसे होता है? ये जानने से पहले शुरू में उस किरदार को जान लेते हैं जिसकी ये कहानी है.

इस कहानी के मुख्य किरदार का नाम राम है. राम भारतीय सेना का एक अधिकारी है. मगर, ये कहानी भारत से शुरू ना होकर पाकिस्तान से शुरू होती है. पाकिस्तान की सेना के एक बड़े अधिकारी का देहांत हो जाता है, वे बड़े ईमानदार थे. उनकी मौत के बाद वे अपनी पोती जिसका नाम आफ़रीन है, उसे एक काम सौंपते हैं. यह काम होता है एक चिट्ठी पहुंचाने का. दरअसल, आफ़रीन के दादाजी के पास 20 साल पहले से भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट राम की एक चिट्ठी पड़ी हुई है. जिसे भारत में सीता को पहुंचानी है. आफ़रीन वह चिट्ठी पहुंचाने भारत पहुंचती है. वह सीता की खोज में लग जाती है. मगर, उसके लिए मुसीबत ये है कि चिट्ठी पर जो एड्रेस लिखा है, उस पर सीता रहती ही नहीं है और ना ही कोई सीता को जानता है. मगर, आफ़रीन हार नहीं मानती है और सीता की खोज चालू रखती है. इस दौरान आफ़रीन को राम और सीता की प्रेम कहानी के बारे में पता चलता है.

क्या है वह प्रेम कहानी

दरअसल, कश्मीर में तैनात लेफ्टिनेंट राम के कारण हिन्दू-मुस्लिम के बीच एक दंगा होने से बच जाता है. इसके बाद उन्हें बहुत वाहवाही मिलती है. उनका रेडियो पर इंटरव्यू होता है. जिसमें जब उनसे उनके परिवार के बारे में पूछा जाता है तो वे कहते हैं कि उनका कोई नहीं है, वह अनाथ हैं. इसके बाद उनके नाम चिट्ठियों की बाढ़ लग जाती है. कोई उन्हें अपना भाई मान कर चिट्ठी लिखती है तो कोई उन्हें अपना बेटा बताती है. वह भी सभी का बड़े आदरपूर्वक जवाब देता है. इसी बीच उसे एक और चिट्ठी मिलती है. इसे सीता ने लिखा था. सीता खुद को राम का पत्नी बताती है और उसमें बहुत सारी बातें लिखती है. मगर, सीता की चिट्ठी पर सीता का अड्रेस नहीं लिखा होता. लगातार चिट्ठियों का आना जाना शुरू होता है. राम को अब सीता को जानने की उत्सुकता होती है. राम दो महीने की छुट्टी लेकर सीता की खोज में निकल जाता है. उसे सीता मिल भी जाती है. मगर, सीता वास्तविक में सीता नहीं बल्कि एक राजकुमारी होती है. उसका नाम भी सीता नहीं होता है. सीता और राम दोनों एक दूसरे से मोहब्बत करने लग जाते हैं. सीता को बार-बार लगता है कि उसे राम को अपनी असलियत बता देनी चाहिए. मगर, वह बता नहीं पाती.

राम कैसे पहुंच जाता है पाकिस्तान

इसके बाद राम पाकिस्तान कैसे पहुंच जाता है, आफ़रीन चिट्ठी सीता तक पहुंचा पाती है कि नहीं, ये जानने के लिए आपको एक फिल्म देखनी होगी. इस फिल्म का नाम है सीतारामम्. फिल्म का टैगलाइन है, युद्ध के बीच प्रेम कहानी. इस फिल्म में राम का किरदार दलकर सलमान और सीता का किरदार मृणाल ठाकुर ने निभाया है. वहीं आफ़रीन के किरदार में रश्मिका मंदाना हैं. साउथ फिल्मों का क्रेज क्यों बढ़ रहा है, ये आपको इस फिल्म से समझ आ जाएगा. क्योंकि एक प्रेम कहानी, जो कहीं से भी ढीली नहीं पड़ती, सही ट्विस्ट हैं, ऐक्टिंग में इन ऐक्टर्स का कोई मुकाबला नहीं है. फिल्म का म्यूजिक और भी शानदार है. ऐसी कोई चीज नहीं है जो दर्शकों को इस फिल्म में पसंद ना आए. फिल्म हिन्दी में भी रिलीज हो चुकी है. फिल्म की जो सबसे खास चीज है वह है इसकी कहानी. ऐसी कहानी जो अपने आप में यूनीक है और ऐसी कहानी पर फिल्में कभी कभार ही बनती है.