टीएनपी डेस्क(TNP DESK) बरसात के दिनों में डेंगू के लार्वा हर जगह पनपने लगते है. वहीं इन दिनों झारखंड सहित पूरे देश के अलग-अलग राज्यों में डेंगू का कहर देखने को मिल रहा है. इस बीमारी की चपेट में आने की वजह से कई लोग अपनी जान गवा चुके हैं, तो वहीं कई अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं. आलम ये है कि अस्पतालों में अब मरीज के भर्ती होने के लिए बेड भी खाली नहीं है.
मच्छरों से फैलने वाला डेंगू अब इतना खतरनाक हो गया है
वहीं आपको बता दे कि मच्छरों से फैलने वाला डेंगू अब इतना खतरनाक हो गया है कि दिल्ली एनसीआर में तेजी से फैल चुका है वहीं जब इसकी जांच कराई गई तो कई सैंपल पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. वही टेस्ट लैब में आए सैंपलों में स्ट्रेन DEN 2 की पुष्टि की गई है. जो स्ट्रेन DEN 1 से ज्यादा खतरनाक है. जिसको देखते हुए डेंगू के 50 से अधिक सैंपल जांच के लिए लखनऊ भेजे गए थे, जिसमें से 17 में डेंगू नया वैरीएंट DEN 2 पाया गया है.
डेंगू के नये वैरिएंट स्ट्रेन DEN 2 की पुष्टी
वहीं चिकित्सकों की माने, तो डेंगू के नये वैरीएंट DEN 2 स्ट्रेन की वजह से डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स की संख्या में तेजी से गिरावट आ जाती है, इसके साथ ही ये मल्टी ऑर्गन फेल्योर की भी वजह बनता है. तो आपको बरसात में फैले इस महामारी से सावधान रहने की जरुरत है. आप कैसे डेंगू के नये खतरनाक वैरीएंट को आप पहचान सकते है, आज आपको हम इस आर्टिकल के जरीये इसके दस लक्षण बताने जा रहे है.
डेंगू के नये वैरीएंट DEN 2 स्ट्रेन के 10 लक्षण –
1. वहीं डेंगू के नये वैरिएंट DEN 2 स्ट्रेन में सबसे मुख्य लक्षणों में जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द है, जिसकी वजह से"हड्डी तोड़ बुखार" आता है.
- वहीं इसमें तेज सिर दर्द शुरु हो जाता है, जो असहनीय होता है.
- वहीं इसमें बुखार शुरू होने के कुछ दिनों बाद त्वचा पर दाने निकल जाते हैं. जो फैले हुए लाल चकत्ते की तरह दिखते हैं, और खुजली हो सकती है.
- तेज सिर दर्द शुरु हो जाता है, जो असहनीय होता है.
- बिना काम के ही थकान और कमजोरी महसूस होती है.
- डेंगू में कुछ मरीजों को हल्की ब्लीडिंग के लक्षण दिखते है. जैसे नाक या मसूड़ों से खून आना.
- इसके खास लक्षणों में मतली, उल्टी और पेट में दर्द शामिल है.
- वहीं डेंगू जब गंभीर रूप लेता है, तो तो बार-बार उल्टी होती है, कभी-कभी उसमें खून भी निकल सकता है.
- डेंगू में मरीज के पेट में तेज दर्द होता है.
- इसके साथ ही सांस लेने में मरीज को मुश्किल होती है.
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