चाईबासा(CHAIBASA): विश्व विख्यात सारंडा के छोटानागरा पंचायत के जोजोगुटू समेत अन्य गांवों में मलेरिया का कहर जारी है. पिछले 10 दिनों में सारंडा क्षेत्र में 7 लोगों की मौत मलेरिया की वजह से हुई है. सात लोगों के जान गंवाने के बाद सारंडा का स्वास्थ्य महकामा जागा है. मौत की जानकारी मिलने के बाद चाईबासा सदर अस्पताल और मनोहरपुर सीएचसी से डाक्टरों की पूरी टीम ने गांवों में कैंप लगाकर जांच शुरू कर दी है. मगर सवाल यह खड़ा होता है कि जब मौतों का आंकड़ा इतना बढ़ गया तब जाकर विभाग की नींद खुली है.
स्वास्थ्य विभाग के अलावा पश्चिम सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी जोजोगुटू गांव कुछ देर में पहुंचने वाले हैं. ऐसा माना जा रहा है कि दोनों नेता भी कई दिनों तक यहां रुक सकते हैं. आपको बता दें कि डॉ संजय कुजूर के नेतृत्व में चाईबासा से आई आईडीपीएस और आरआरटी विभाग की टीम ने गांव के मृतकों के घर-घर जाकर मौत होने की वास्तविक वजहों का पता लगाया.
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हरबोंगा पूजा बीमारी से मुक्ति दिलाने का एकमात्र जरिया!
दरअसल, इसे आप स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का नतीजा समझें या फिर पुरानी मान्याताएं. छोटानागरा पंचायत के जोजोगुटू गांव में बीमारी से निजात पाने के लिए हरबोंगा पूजा किया गया. गांव में फैली अज्ञात बीमारी से ग्रामीणों को मुक्ति दिलाने के लिए गांव के दिऊरी बगना देवगम और ठाकुर सोरेन के नेतृत्व में पारम्परिक जुगनी हरबोंगा पूजा किया गया. इस पूजा के लिए मिट्टी की मूर्ति बनाई गई, मूर्ति को एक महिला का रूप दिया गया. महिला अपने बच्चे को गोद में लेकर वाहन पर बैठी है और पास में महिला का पति व बकरी मौजूद हैं. दिऊरी ने बताया की पूजा का उद्देश्य गांव के सीमा में आने वाले तमाम प्रकार के दूषित व गलत आत्मा को गांव से बाहर भगाना है. पूजा से ग्रामीणों को तमाम प्रकार की विपत्ति से मुक्ति मिलेगी. इस पूजा में मुर्गी की बलि दी गई और बकरे के बच्चे की पूजा कर उसके गले में लाल कपड़ा बांधकर उसे गांव की सीमा के बाहर छोड़ दिया गया. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और 30 से 35 किलोमीटर अस्पताल का दूर होना इन पूरानी प्रथा और अंधविश्वास को खत्म नहीं होने देती.
सांसद गीता कोड़ा ने सरकार पर लगाया आरोप
जोजोगुटू गांव पहुंचने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि सात लोगों की मौत काफी दुखद है, ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए. यह पूरी तरह से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का नतीजा है. ऐसी घटना 3-4 साल पहले भी हो चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग सतर्क नहीं था. उन्होंने कहा कि झारखंड में चिकित्सक की भारी कमी है, लेकिन झारखंड सरकार इसका रोना न रोये क्योंकि चिकित्सकों की कमी से संबंधित समस्या को दूर करने का काम भी झारखंड सरकार का है. वहीं, जिला सर्विलांस सह वीबीडी प्रभारी डॉ संजय कुजूर ने कहा कि अचानक मलेरिया लिस्फोट हुआ, जिसके कारण व्यवस्था कंट्रोल से बाहर चली गई. उन्होंने कहा कि तीन मौतें संभवत मलेरिया की वजह से हुई है लेकिन दो मौत मनोहरपुर व गुवा अस्पताल में हुई जो अलग-अलग बीमारी की वजह से हुई.
रिपोर्ट: संदीप गुप्ता, चाईबासा
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