गोड्डा(GODDA): जिले का लाइफ लाइन कहे जाने वाले सदर अस्पताल में इन दिनों असामाजिक तत्व पूरी तरह से हावी हैं. अब चाहे वो ब्लड बैंक हो या फिर 108 एम्बुलेंस सेवा सभी स्थानों पर असामाजिक तत्व की पकड़ काफी मजबूत है और अस्पताल प्रबंधन भी इस पर अंकुश लगाने में असफल हो रहा है.
दो यूनिट ब्लड के लिए आदिवासी मरीज के परिजन से ऐंठ लिए 4 हजार रुपये
एक आदिवासी गर्भवती महिला को पोडैयाहाट CHC से गोड्डा सदर अस्पताल रेफर किया गया था. सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि मरीज का प्रसव सीजर ऑपरेशन से करना पड़ेगा, जिसके लिए दो युनिट ब्लड की जरूरत है. इतने में एक सहिया ने परेशान आदिवासियों से खून दिलाने के बहाने 4 हजार रूपए ठग लिए. वहीं, बगल में दूसरा मरीज बैठा हुआ था, जिसने मीडिया को इसकी खबर दी और मजबूरन उस सहिया को पैसे वापस करने पड़े. दरअसल, ये तो महज एक उदाहरण है ऐसे कई मामले रोज होते है जो पकड़ में नहीं आता है. अस्पताल प्रबंधन को भी इन सभी की जानकारी नहीं होती है.
108 एम्बुलेंस में भी मरीजों को निजी क्लिनिक तक पहुंचाने को मिलते हैं चालक को कमीशन
मामला सिर्फ ब्लड बैंक तक सीमीत नहीं है. एंबुलेंस चालक भी कमीशन कमाने के लिए गरीब परेशान मरीजों का जेब ढीली करने से पीछे नहीं हटता है. चालक मरीजों को डराकर उन्हें निजी अस्पताल में ले जाता है और वहां एडमीड होने को कहता है. आपको बता दें कि 108 एंबुलेंस पूरी तरह से सरकारी है मगर निजी अस्पताल चालकों को कमीशन देता है.
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भागलपुर के नर्सिंग होम के एजेंट अक्सर मंडराते नजर आते हैं अस्पताल के आसपास
गोड्डा जिले के सबसे नजदीक बिहार का भागलपुर जिला पड़ता है, जहां सबसे ज्यादा नर्सिंग होम खुले हुए हैं और शायद गोड्डा से सुलभ स्वास्थ्य व्यवस्था मिल जाती है. इसलिए सप्ताह के कुछ दिन भागलपुर के निजी क्लीनिकों से कुछ एजेंट गोड्डा सदर अस्पताल आते हैं और 108 कार्यालय में बैठकर सेटिंग कर एम्बुलेंस चालकों को लालच देते है. इतना ही नहीं उन्हें खिला पिलाकर अपने क्लिनिक में मरीजों को पहुंचाने के एवज में कमीशन की सेटिंग भी करते हैं.
DS भी स्वीकारती हैं दलाली की बात मगर संसाधन का रोना भी रोती हैं
इन सब मामलों में जब सदर अस्पताल की DS डॉ. प्रभा रानी प्रसाद से पूछा गया तो उन्होंने भी स्वीकार किया कि यहां दलालों द्वारा इस तरह से कार्य किये जाने की सुचना मिली है, मगर ये भी कहा कि हमारे पास मानव संसाधन की इतना अभाव है कि 24 घंटे किसी पर निगरानी नहीं रख सकते. उन्होंने कहा कि जब-जब ऐसी सुचना मिलती है तो कार्यवाई भी की जाती है.
रिपोर्ट: अजित कुमार सिंह, गोड्डा
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