दुमका (DUMKA) : पूर्ववर्ती सरकार के प्रयास से दुमका के जामा प्रखंड के कमार दुधानी में तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई. करोड़ो रुपए खर्च कर भवन बनाया गया. कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस केंद्र में दो स्तर पर प्रशिक्षण की व्यवस्था है. राज्य स्तर के सब जूनियर तीरंदाज के साथ साथ राष्ट्र स्तर की तैयारी के लिए एक्सीलेंस सेन्टर स्थापित है. दो वर्षोंं से कोरोना के कारण सब कुछ अव्यवस्थित हुआ तो उसका परिणाम आर्चरी अकादमी पर भी पड़ा. चयन प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण फिलहाल यहां प्रशिक्षणार्थियों की संख्या जरूर कम है. लेकिन जो भी प्रशिक्षणार्थी है वो कड़ाके की धूप में जमकर पसीना बहा रहे हैं. यहां के प्रशिक्षणार्थी कई मौके पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं. फिर भी इन्हें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए उसकी कमी है. अभ्यास के लिए मैदान में शेड तो बना दिया गया है लेकिन ग्राउंड पर ना तो पेय जल की सुविधा है और ना ही शौचालय की. खास कर महिला प्रशिक्षणार्थियों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है. आवासीय प्रशिक्षण केंद्र होने के कारण रहने और खाने की व्यवस्था तो है लेकिन उस कड़ाके की धूप में पसीना बहाने वालों के लिए एनर्जी बूस्टर के रूप में जो इन्हें मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पाता.
आउट डेटेड उपकरण के सहारे होता है अभ्यास
खेल कोई भी हो समय के साथ साथ उसके प्रारूप में परिवर्तन होता है. यहां प्रशिक्षण ले रहे तीरंदाजों के लिए जो आधुनिक उपकरण होनी चाहिए वह नहीं है. आउट डेटेड उपकरण के सहारे इनका अभ्यास जारी है. तभी तो ये प्रशिक्षणार्थी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
आदिवासी समाज के लिए तीर धनुष का विशेष महत्व
झारखंड में आदिवासी समुदाय की बाहुल्यता है और आदिवासी समाज के लिए तीर धनुष का विशेष महत्व है. खासकर संथाल समाज में तो कह सकते हैं कि तीर धनुष पूजनीय है. सामाजिक परंपरा में जन्म से लेकर मृत्यु तक तीरधनुष का महत्व है. झारखंड तीरंदाजी संघ के वरीय उपाध्यक्ष के एन सिंह भी मानते हैं कि संसाधनों की कमी है. उनका कहना है कि सरकार का ध्यान है तभी तो यहां के 7 छात्रों को छात्रवृत्ति मिल रही है. लेकिन मूलभूत सुविधा की कमी से इनकार नहीं किया जा सकता. जरूरत है सरकार को ध्यान देने की तभी तो यहां के छात्र देश के लिए सोना जीतकर देशवासियों को जश्न मनाने का अवसर देंगे.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका
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