दिल्ली(DELHI)तमिलनाडु कैडर के आईपीएस अधिकारी संजय अरोड़ा दिल्ली पुलिस के नए आयुक्त होंगे. संजय अरोड़ा अब तक भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के महानिदेशक का पद संभाल रहे थे, अतिरिक्त प्रभार अब सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के महानिदेशक डा. एसएल थाउसेनसंग को सौंपा गया है.
सीमा सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया
दिल्ली पुलिस की कमान संभालने वाले संजय अरोड़ा भारतीय पुलिस सेवा के 1988 बैच के तमिलनाडु कैडर के अधिकारी हैं.आईटीबीपी में रहते हुए उन्होंने सीमा सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया है.
चंदन तस्कर वीरप्पन गिरोह के खिलाफ महत्वपूर्ण सफलता हासिल की थी
उन्होंने तमिलनाडु पुलिस में विभिन्न पदों पर कार्य किया है.स्पेशल टास्क फोर्स के पुलिस अधीक्षक (एसपी) रहते हुए उन्होंने कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन गिरोह के खिलाफ महत्वपूर्ण सफलता हासिल की थी. इस वीरतापूर्ण कार्रवाई के लिए उन्हें मुख्यमंत्री के वीरता पदक से सम्मानित किया गया था.
2014 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से किया गया था सम्मानित
उन्होंने 31 अगस्त, 2021 को डीजी आईटीबीपी के रूप में 31वें महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया.उन्हें 2004 में सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक, 2014 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, पुलिस विशेष कर्तव्य पदक, आंतरिक सुरक्षा पदक और संयुक्त राष्ट्र शांति पदक सहित अन्य से सम्मानित किया जा चुका है.
तमिलनाडु के कई जिलों के पुलिस अधीक्षक के रूप में भी कार्य किया है
अरोड़ा ने 1991 में एनएसजी द्वारा प्रशिक्षित होने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष सुरक्षा समूह (एसएसजी) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उस समय लिट्टे से जुड़ी गतिविधियां अपने चरम पर थी. उन्होंने तमिलनाडु के विभिन्न जिलों के पुलिस अधीक्षक के रूप में भी कार्य किया है.
आईटीबीपी बटालियन की एक सीमा सुरक्षा की कमान संभाली थी
उन्होंने 1997 से 2002 तक कमांडेंट के रूप में प्रतिनियुक्ति पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीपी) में सेवा दी.उन्होंने 1997 से 2000 तक उत्तराखंड के मतली में आईटीबीपी बटालियन की एक सीमा सुरक्षा की कमान संभाली थी.एक प्रशिक्षक के रूप में उन्होंने प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया. वे 2000 से 2002 तक आईटीबीपी अकादमी, मसूरी में कमांडेंट (लड़ाकू विंग) के रूप में सेवारत रहे.
उन्होंने 2002 से 2004 तक पुलिस आयुक्त, कोयंबटूर शहर के रूप में कार्य किया.उन्होंने पुलिस उप महानिरीक्षक, विल्लुपुरम रेंज और सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी उप निदेशक के रूप में भी कार्य किया है.उन्होंने चेन्नई सिटी पुलिस का नेतृत्व अतिरिक्त आयुक्त अपराध और मुख्यालय और अतिरिक्त आयुक्त – यातायात के रूप में काम किया. पदोन्नति पर, उन्हें तमिलनाडु पुलिस में एडीजीपी (संचालन) और एडीजीपी (प्रशासन) के रूप में नियुक्त किया गया था.
उन्होंने आईजी (स्पेशल ऑपरेशन) बीएसएफ, आईजी छत्तीसगढ़ सेक्टर सीआरपीएफ और आईजी ऑपरेशन सीआरपीएफ के रूप में काम किया है. उन्होंने आईटीबीपी के महानिदेशक के रूप में नियुक्त होने से पहले एडीजी मुख्यालय और ऑपरेशन सीआरपीएफ और विशेष डीजी जम्मू-कश्मीर जोन सीआरपीएफ के रूप में कार्य किया है.
उन्होंने मालवीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जयपुर (राजस्थान) से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की.
राकेश अस्थाना दिल्ली पुलिस में एक वर्ष का अपना कार्यभार संभालने के बाद सेवानिवृत्त हो रहे
वहीं गुजरात कैडर के आईपीएस राकेश अस्थाना आज दिल्ली पुलिस में एक वर्ष का अपना कार्यभार संभालने के बाद सेवानिवृत्त हो रहे है.पुलिस आयुक्त रहते हुए बीते एक साल में उन्होंने कई परिवर्तनकारी निर्णय लिए थे.उन्होंने दिल्ली पुलिस की पीसीआर को थाने के साथ जोड़कर वहां पुलिसकर्मियों की संख्या को बढ़ाया.उनके कार्यकाल में लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे 25 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को पदोन्नति मिली थी. इसके अलावा अपराध को काबू पाने के लिए भी उनके द्वारा महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं.

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