आज मजबूरियों से ज्यादा सिस्टम लाचार होती दिखी,पहली मर्तबा नहीं है जब सिस्टम की बेरूखी ने किसी का जिंदगी निगल गई हो.सिमडेगा में हॉकी खिलाड़ी कोमली बेसरा की सांप काटने से मौत हो गई । ये कहना गलत नहीं होगी की सिस्टम की लाचारी और अनुकुल परिस्थिती के कारण बीच रास्तें  में ही खिलाड़ी ने दम तोड़ दिया।

सांप से नहीं  सिस्ट्म ने ली खिलाड़ी की जान

सिमडेगा के लंबोई गांव में  सांप काटने से कोमली बेसरा नामक एक हॉकी खिलाडी की मौत  हो गई। कोमली के घर तक पंहुचने का कोई रास्ता नहीं था, जिस कराण घर तक एंबुलेंस  नहीं पहुच पायी।  लिहाजा खाट पर ही लेटा कर ही पगडंडीयों के सहारे लोगों ने मुख्य मार्ग तक पहुंचाया पर अस्पताल जाने के क्रम में ही खिलाड़ी की मौत हो गई।

घटना विकास और प्रगति का दंभ भरने वालों के मुंह पर है तमाचा

दुर्भाग्य देखिये की आज तक सिमडेगा के लंबोई गांव  में विकास नहीं पहुंच पाया है । ना पक्की सड़क है और ना ही अस्पताल ये दोनों मूलभूत सुविधाओं के ना होने से इस गांव के लोगों को परेशानियों से हर दिन संघर्ष करना पड़ता है , लिहाजा सिस्टम के आगे होनहार खिलाड़ी जिंदगी की जंग हार गई।

वक्त रहते पहुंच पाती अस्पताल, तो बच जाती होनहार खिलाड़ी की जान

आज हम भले विकास और प्रगति का दंभ भर रहे हो, लेकिन हकीकत इससे अलग बयां कर रही है। सिमडेगा में सारे सिस्टम की हकीकत  इस घटना के बाद नजर आई। दरअसल कोमली के घर तक पहुंचने के लिए कोई सड़क तक नहीं है। ऐसे में  सड़क और पुल नहीं होने की वजह से एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी । गांव वाले आने जाने की परेशानियों के कारण पोस्टमार्टम कराने के पक्ष में  भी नहीं थे, लेकिन काफी समझाने बुझाने के बाद ग्रामीण तैयार तो हुए लेकिन समस्या थी की कैसे ले जाया जाये,थकहार कर खाट की मदद से शव को डेढ किलोमीटर पगडंडी और नाला पार करते हुए कच्ची सड़क तक लाया गया। जहां से कोमली के शव को ऑटो पर रख कर 35 किलोमीटर दुर सिमडेगा सदर अस्पताल ले जाया गया।

अब सवाल ये उठता है की आखिर सरकारी योजनाएं किसके लिए हैं इन योजनाओं का लाभ  किसको मिलना चाहिए?