गुमला(GUMLA) के सिसई प्रखंड के कोड़ेकेरा वनटोली गांव में कोई सड़क नहीं है. ग्रामीणों का आवागमन पगडंडियों के सहारे मुमकिन हो पाता हैं. जिस पर ट्रैक्टर के अलावा और किसी भी चार पहिया वाहन का चलना काफी मुश्किल है. बता दें कि गांव में सड़क ना होने के कारण ग्रामीणों को अस्पताल तक जाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता हैं. गांव में किसी भी व्यक्ति को अगर अस्पताल जाने की नौबत आती हैं तो ग्रामीण उसे को खटिया में लेकर सड़क तक जाते है तब जाकर उन्हें कोई वाहन मिलता है.यही नहीं गांव के किनारे से बहने वाली नदी में कोई पुल नहीं है. जिसके कारण जब बरसात का पानी नदी में भर जाता है तो ग्रामीणों का गांव से निकलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में गांव पूरी तरह से टापू में तब्दील हो जाता है. जलजमाव का नतीजा ऐसा होता है कि ना बच्चें स्कूल जा पाते हैं और ना ही कोई ग्रामीण किसी काम के लिए गांव से बाहर निकल पाता हैं.
बारिश का गंदा पानी पीने पर मजबूर हैं ग्रामीण
बता दें कि गांव में पेयजल की सुविधा भी नहीं हैं. जिसके कारण ग्रामीणों को शुद्ध पीने योग्य पानी नहीं मिल पाता हैं. ऐसे में ग्रामीण गांव के बाहर बहती नदी का पानी पीने को मजबूर होते हैं. इस अशुद्ध पानी को पीने से गांव में अक्सर लोग बीमार पड़ जाते हैं. परेशान ग्रामीणों का कहना है कि यहां बिजली के खंभे और तार तो लगे हुए हैं परंतु यहां भी बिजली अक्सर आंख मिचौली करती रहती है.साथ ही सड़क और पुल की सुविधा नहीं होने के कारण कोई भी सुविधा गांव तक नहीं पहुंच पाती है.
सरकार से विकास की उम्मीद
एक तरफ जहां देश तकनीकी क्षेत्र में काफी आगे बढ चुका हैं. दूसरी तरफ एक ऐसा भी गांव है जहां के लोगों को बुनियादी सुविधा तक नहीं मिल पा रही हैं. लोगों को प्रशासन से अपने क्षेत्र की विकास की उम्मीद रहती हैं, लेकिन यहां तो प्रशासन की ओर से इस गांव की ओर कोई ध्यान तक नहीं दिया जा रहा है. यहां ना तो सरकार या कोई जनप्रतिनिधि इस गांव के लोगों से मिलकर इनकी समस्या जानने आता है और ना ही कोई विपक्षी पार्टी इनकी समस्या को सुनना चाहती हैं.
रिपोर्ट:अमित राज,गुमला
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