धनबाद (DHANBAD) : कोयला उद्योग से सीधे जुड़ी है धनबाद की आर्थिक सेहत. कोयला और इसपर आश्रित उद्योगों की हालत जैसे-जैसे बिगड़ती या बनती है सेहत सुधरती या बेपटरी होने लगती है. कोयला आधारित उद्योगों में हार्डकोके इंडस्ट्रीज प्रमुख है. इस उद्योग से जुड़े मालिकों की संस्था इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन ने शनिवार को संगठन के सभागार में अपने 88 वा वार्षिक सम्मलेन में हार्डकोक उद्योग की बिगड़ी हालत की चर्चा करते हुए सरकार और बीसीसीएल पर हमला बोला.
महज 30 से 40 मीट्रिक टन कोयला मिल रहा
अध्यक्ष बीएन सिंह ने कहा कि हार्डकोक इकाइयों को जरुरत का दस प्रतिशत कोयला भी कोल इंडिया या इसकी अनुषंगी इकाइयों से नहीं मिलता है. धनबाद के हार्डकोक इंडस्ट्रीज को 2 लाख 66 हजार मीट्रिक टन कोयला चाहिए, जबकि मात्र 30 से 40 मीट्रिक टन कोयला मिला पा रहा है. कोल इंडिया ने पहले लिंकेज बंद किया ,फिर एसफए सिस्टम में सेंध लगाई गई. अब तो केवल इ ऑक्शन के कोयले पर ही वे निर्भर है . आईसी एसोसिएशन यह लगातार मांग करता रहा है कि जरुरत भर कोयला बीसीसीएल या ईसीएल यहां के उद्योगो को दें. उन्होंने कहा कि एसोसिएशन अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से कभी पीछे नहीं हटा है. कोरोना के समय भी मुख्यमंत्री राहत कोष में दस लाख की सहायता राशि भेजी गई थी. अध्यक्ष ने कहा कि बड़ी बाधा कोल् इंडिया और बीसीसीएल की जिद है. यह हमारे कच्चे माल के आपूर्ति करता है लेकिन इनकी नीति और नजरिया अतार्किक और उद्योगों के खिलाफ है. कोयला मंत्रालय का रवैया भी अनुकूल नहीं है. विदेशी कोयला 23 हज़ार रूपए टन मिल जाता है. अगर हमें आयातित कोयले पर निर्भर होने के लिए बाध्य किया गया तो इसका असर देश की इकोनॉमी पर पड़ेगा. कहा कि यहां 120 हार्डकोके इकाइयां चल रही थी, अब धीरे धीरे संख्या घट गई लेकिन अभी भी जो चल रहे हैं ,उनमें सीधे एक लाख से अधिक मजदूर जुड़े हुए हैं. अप्रत्यक्ष रूप से तीन लाख से अधिक लोग अभी भी इस पर आश्रित हैं. वहीं वरीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिन्हा उर्फ पलटन बाबू ने सभी को साफ़ सुथरा कारोबार करने के लिए अपनी ओर से विदेशी आयात का सुझाव दिया.
सरकार से अविलंब हस्तक्षेप की मांग
हार्डकोक इंडस्ट्रीज की समस्या को लेकर उद्योगपतियों का संगठन जीटा ने भी केंद्र व राज्य सरकार को अविलंब हस्तक्षेप करने की मांग की. जीटा के अध्यक्ष व महासचिव अमितेश सहाय और राजीव शर्मा ने कोल इंडिया की इकाई बीसीसीएल और सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी दी और कहा कि अब आर पार की लड़ाई होगी. उद्योग को बचाने और मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए सबको मिलकर लड़ना होगा. तभी रोज़गार बचेगा.
Recent Comments
Narendra.Sinha
3 years agoI wish you for success of news post
Shashi Bhushan Singh
3 years agoThe News Post ki Jwalant Mudda par Achchi Pahal.