दुमका(DUMKA) को झारखंड की उपराजधानी का दर्जा प्राप्त है. बता दें कि दुमका के रास्ते इन दिनों पशु तस्करी का धंधा चरम पर है. पशु तस्करी का यह नेटवर्क बिहार से दुमका के रास्ते पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है. इसी संबंध में एक ताजा मामला बीते दिन का है. जहां दुमका जिला के शिकारीपाड़ा थाना के चाय पानी जंगल के पास तीखा मोड़ पर पशु लदा एक ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस घटना में एक व्यक्ति सहित आधा दर्जन गोवंशीय पशु की मौत हो गई. अगले दिन सुबह पुलिस की इसकी सूचना मिली. जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर दुर्घटनाग्रस्त ट्रक को लेकर थाना पहुंची. बता दें कि कागजी प्रक्रिया पूरी की जा रही है. मृतक की पहचान नही हो पायी है.


फिर से शुरू हुआ पशु तस्करी का अवैध धंधा

दुमका जिले के लिए यह कोई पहली घटना नहीं है. इसके पूर्व भी कई पशु गाड़ी दुर्घटना का शिकार हो चुकी है, जिसमें बेजुबान पशु के साथ साथ इंसान की भी मौत हुई है. अगर दुमका के नक्शा को देखे तो इसकी एक सीमा बिहार से लगती है तो दूसरी पश्चिम बंगाल से. बता दें कि बिहार के भागलपुर और बांका के रास्ते पशु तस्कर पशु लोड ट्रक लेकर दुमका के हंसडीहा थाना में प्रवेश करते है. हंसडीहा, रामगढ़, जामा, मुफस्सिल, नगर और शिकारीपाड़ा थाना पार कर पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर जाते है. वहीं पशु तस्करी का दूसरा मार्ग जिला मुख्यालय में प्रवेश करने के बाद मसानजोर और रानीश्वर थाना होते हुए पश्चिम बंगाल को जाती है. दोनों ही रास्तों से इन दिनों पशु तस्करी चरम पर है. पशु तस्कर भी समय समय पर तस्करी का तरीका बदलते रहता है. कभी पैदल तो कभी ट्रक में तो कभी कन्टेनर में भर कर पशु को ले जाया जाता है. ऐसे में लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व बस से पशु ले जाने का मामला सामने आया था. लक्जरी बस की सभी सीट को खोलकर और खिड़की में पर्दा लगाकर पशु को ले जाया जा रहा था. पशु को पैदल पार कराने के लिए तस्कर स्थानीय लोगों का सहयोग लेते हैं जो चरवाहा बनकर दिन के उजाले में पशु को सीमा पार कराते हैं. भाजपा पशु तस्करी सहित तमाम अवैध कारोवार को रोकने के लिए समय समय पर आंदोलन करती है. अगस्त महीने में पूर्व मंत्री लुइस मरांडी इसे रोकने के लिए 5 दिवसीय धरना पर बैठ गयी थी. कुछ दिनों तक रोक के बाद एक बार फिर यह अवैध धंधा परवान चढ़ गया है.

आश्वासन के बाद भी जारी है पशु तस्करी

वैसे तो दुमका प्रशासन कभी भी इसबात को स्वीकार नहीं करती कि दुमका के रास्ते पशु की तस्करी होती है. लेकिन समय समय पर पशु लदे ट्रक के दुर्घटना के बाद इसका खुलासा स्वतः हो जाता है. पूछने पर हमेशा एक ही जबाब रहता है कि अवैध कार्य होने नहीं दिया जाएगा और इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई की जाएगी, लेकिन सवाल उठता है कि क्या सचमुच जिला प्रशासन पशु तस्करी रोकने के लिए गंभीर है. अगर ऐसा होता तो कई थाना के सामने से गुजरते हुए पशु लोड वाहन पश्चिम बंगाल नहीं पहुंचता. क्या तस्कर के सामने प्रशासन नतमस्तक है या फिर इनकी संलिप्ता से यह अवैध कारोवार फल फूल रहा है.

रिपोर्ट:पंचम झा,दुमका