धनबाद(DHANBAD)-हर साल की तरह इस साल भी लोगों की भक्ति भाव में कोई कमी नहीं,लेकिन आयोजन छोटा होने से थोड़ी मायूसी. कोयलांचल में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है. बच्चों में थोड़ी अधिक मायूसी है,कारण पंडालों में 18 से काम आयु वाले बच्चों के प्रवेश पर पाबंदी हैं. पूजा का आनंद वे अपने ढंग-तरीके से नहीं ले सकेंगे. पंडाल भी सामान्य और छोटा बन रहा है. वहीं मूर्तिया भी अधिक से अधिक 5 फ़ीट की ही बनी है. मूर्ति और पंडाल का कारोबार करने वालो को उम्मीद थी कि कोरोना के कारण आया  संकट इस साल दूर हो जाएगा. लेकिन बड़े आकर के पंडाल नहीं बनने से थोड़ा मायूस है. धनबाद के प्रसिद्ध मूर्तिकार दुलाल पाल का कहना है कि मूर्ति के दाम पहले की तरह नहीं मिल रहे है. वही हाउसिंग कॉलोनी पूजा पंडाल के आयोजक मनोरंजन सिंह का कहना है कि सरकार के गाइडलाइन का वे लोग पालन कर रहें है. इस लिए इस बार सजावट में कटौती की गई है. चंदा भी नहीं लिया जा रहा है. इधर बिजली  का काम करने वालों का भी यहीं हाल है. मूर्तिकारों को कुछ अधिक ही आर्धिक संकट है. एक तो धनबाद में मूर्ति बनाने के लिए बाहर से मिट्टी मंगवानी पड़ती है. कारीगर भी कोलकत्ता से आते है. पहले जहा बाहर में भी धनबाद में निर्मित मूर्तियों की डिमांड थी ,इस वॉर ऐसा नहीं है. 5 फ़ीट की मूर्तियों की कीमत अधिक से अधिक 25 हज़ार तक पहुंच रही है. डिमांड भी कम है.

भक्ति में कमी नहीं

कोलकत्ता से सटे होने के कारण कोयलांचल के पूजा में बंगाल का पुट साफ दिखता है. ढाक बजानेवाले कोलकत्ता से ही यहां पहुंचते है. आरती,संध्या में यहाँ की पूजा की रौनक देखते ही बनती है. महालया के बाद से ही पूजा की तैयारी शुरू हो गई है. महालया के दिन कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित होते है, जो इस साल भी हुए है. वैसे तो यहां के अधिकतर बंगाली परिवार कोलकत्ता चले जाते है, लेकिन जो नहीं जाते वे यहां के पूजा पंडालों में बंगाली पुट देने में कोई कोर कसार नहीं छोड़ते. कुल मिला कर कोयलांचल में पूजा को अंतिम रूप दिया जा रहा है. ट्रैफिक के नए नियम की घोषणा कर दी गई है. प्रशासन भी चौकस है. बोनस की घोषणा के साथ ही बाज़ारो में चहलपहल बाद गई है. धनबाद के प्रसिद्ध मूर्तिकार दुलाल पाल के द्वारा सैकड़ों मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

रिपोर्ट:अभिषेक कुमार सिंह,धनबाद