पश्चिमी सिंहभूम (WEST SINGHBHUM) जिले का सारंडा वन क्षेत्र  हाथियों का कॉरिडोर माना जाता है. इस क्षेत्र से हाथियों का झुंड सालों भर भ्रमणशील रहता है, इस क्रम में हाथी गांव और खेत में भी प्रवेश करते हैं, जिससे जानमाल के भारी नुकसान होने की खबरें सामने आती रही है, लेकिन ऐसी तकनीक सामने आई है,जिससे हाथी के आगमन की सूचना मिल जाएगी और लोग सतर्क हो जाएंगे, हूटर के आवाज से हाथी भी गांव में प्रवेश करने से डरेगा. 

18 जगहों पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू

फसल एवं जानमाल के नुकसान को रोकने हेतु सारंडा वन प्रमंडल के द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एनाइडर्स लगाया जा रहा है. इसके तहत पहले फेज में गुवा वन प्रक्षेत्र के नुइया गांव में 6 पैसिव एनाइडर्स और ससंगदा वन प्रक्षेत्र में 2 एक्टिव एनाइडर्स लगाए गए हैं. इस उपकरण के क्रियान्वयन से फसल एवं जानमाल के क्षति पर बहुत हद तक रोक लगाई जा सकेगी. यदि हाथियों का झुंड जंगल से गांव की ओर प्रस्थान करता है तो उपकरण का जंबो हुटर बजने लगेगा और गांव के लोग सचेत हो जाएंगे. इसके अलावा इंफ्रारेड से जुड़े खास उपकरण भी हाथी प्रभावित इलाके में लगाए जाएंगे, जो हाथियों को गांव में जाने से रोकेगा. 

इस संबंध में सारंडा वन प्रमंडल पदाधिकारी चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा ने बताया कि वन प्रमंडल के क्षेत्रों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे हाथियों की आने की सूचना मिलेगी और वन विभाग इन पर निगरानी रख पाएगा. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में आने वाले खर्च का वहन वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट प्लान के तहत टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड करेगी तथा प्रधान मुख्य वन संरक्षक -सह- वन्य प्राणी प्रतिपालक-रांची, झारखंड सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट को मंजूरी भी मिल गई है. उन्होंने बताया कि पहले चरण में हाथियों से प्रभावित 18 गांव में एनाइडर्स लगाए जाएंगे एवं बेहतर परिणाम आने पर अन्य जगहों पर भी इसकी स्थापना की जाएगी. वन प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि गाजियाबाद की क्यारी नामक कंपनी के द्वारा इसका अधिष्ठापन किया जा रहा है तथा अगले 7 वर्षों तक मशीन की रखरखाव की जिम्मेवारी भी इस कंपनी की होगी और प्रत्येक गांव में 6 एक्टिव इंफ्रारेड सेंसर एवं 6 पैसिव इंफ्रारेड सेंसर लगाया जाएगा, जिसकी कुल लागत लगभग 47 लाख रुपए होंगे. 

क्या है एनाइडर्स
एनाइडर्स यानी एनिमल इंटर्सन डिटेक्शन रिपेलेंट सिस्टम एक मशीन है जो जानवरों एवं आदमियों का फर्क बाखूबी समझता है और यह मशीन पूरी तरह से सौर ऊर्जा से चलता है। उपकरण के कार्यक्षेत्र में जानवरों के आते ही यह अपने आप एक्टिव हो जाता है और जानवरों के खेत व ग्रामीण क्षेत्रों के नजदीक आते ही सेंसर अलार्म चालू हो जाएगा तथा उसमें लगे इंफ्रारेड किरण हाथियों को डराना शुरू कर देते हैं. दूसरी तरफ उपकरण में लगे जीएसएम नेटवर्क तत्काल वन विभाग को भी अलर्ट कर देगा तथा इसमें लगे कैमरा हाथियों की एक्टिविटी को भी रिकॉर्ड करेगा, जिससे वन विभाग को हाथियों की गणना में भी मदद मिलेगा.

रिपोर्ट : जयकुमार, चाईबासा