धनबाद(DHANBAD) : धनबाद के कारोबारियों ने एक साथ झारखंड और बिहार की सरकारों को निशाने पर लिया है. कहा है कि प्रदेश के कारोबारियों को तो सरकार सुरक्षा दे नहीं पाती और विदेश जाकर इन्वेस्टर को आमंत्रित करती है. यह तो सरकार का बिल्कुल दोहरा चरित्र है. भय के बीच कारोबारी अपना धंधा कर रहे है. यहां यह जोड़ना भी जरूरी है कि झारखंड-बिहार में अब केवल वैसे ही कारोबारी रह गए हैं, जिनको यहां की मिट्टी से प्रेम है, नहीं तो अधिकतर कारोबारी दूसरे प्रदेशों में अपना कारोबार लेकर चले गए है. धनबाद की बात की जाए तो बहुत सारे कारोबारी झारखंड छोड़ चुके है. केवल अपना कार्यालय धनबाद में रखे हुए है. काम देखने के लिए एक दो लोगों को नियुक्त रखे है.
झारखंड के कारोबारी भी संगठित गिरोह के निशाने पर है
झारखंड की बात की जाए तो झारखंड के कारोबारी लगातार संगठित गिरोह के निशाने पर है. ऐसे कई गैंग सक्रिय हैं, जो व्यवसाईयों को निशाना बनाते है. रंगदारी वसूली के लिए फायरिंग कराते है. कभी-कभी जान भी ले लेते है. इधर, शुक्रवार की बिहार के टॉप 10 कारोबारी में से एक गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड के बाद बिहार पूरी तरह से "हिल "गया ही. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के साथ-साथ अपने सहयोगी दलों के निशाने पर आ गए है. कहा जा रहा है कि गोपाल खेमका की संपत्ति और कारोबार पर किसी की नजर है और यह वही व्यक्ति है, जो गोपाल खेमका के परिवार पर हमला करा रहा है. 2018 में हाजीपुर में बेटे की हत्या हुई, 2025 में पटना में पिता की हत्या हो गई. इसके पहले दूसरे बेटे पर भी हमला हुआ था और उसके पहले भाई पर भी हमला हुआ था. मतलब गोपाल खेमका का परिवार अपराधियों के टारगेट में है.
बिहार पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़ रही है ,सरकार पर बढ़ गया है दबाव
यह बात तो अब सच लगने लगी है कि गोपाल खेमका के बेटे की हत्या के बाद उनकी हत्या करने वाला कोई एक ही गिरोह ही. दोनों का तरीका भी एक ही था. पुलिस अब कड़ी से कड़ी जोड़ रही है. पटना पुलिस जब बेउर जेल पहुंची, तो उसे सिम लगे हुए तीन मोबाइल और मोबाइल नंबर लिखा कागज मिला है. सभी नंबरों का डिटेल निकाला जा रहा है. 20 दिसंबर 2018 को गोपाल खेमका के बेटे गुंजन हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में फैक्टरी पहुंचे थे, तभी गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी. इधर ,उद्योगपति गोपाल खेमका का अंतिम संस्कार रविवार की दोपहर गुलबी घाट पर किया गया. जहां उनके छोटे पुत्र ने मुखाग्नि दी. खैर जो भी हो, लेकिन गोपाल खेमका मर्डर कांड ने नीतीश सरकार को "हिला" कर रख दिया है. नीतीश सरकार को कोई न कोई बड़ा फैसला लेने होंगे. राजद वाले कह रहे हैं कि कहते थे कि पहले जंगल राज था लेकिन अब बोलने वालों का मुंह बंद क्यों हो गया है? अब तो जंगल राज नहीं महा जंगल राज बिहार में चल रहा है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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