धनबाद(DHANBAD): देश की कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया और उसकी सहायक कंपनियों से रिटायर्डकर्मियों की खुशी काफूर हो गई है. सरप्लस आवास आवंटन में अब बड़ा पेंच फंस गया है. अब केंद्र सरकार की अनुमति के बाद ही कोयला कंपनियां आवास आवंटित कर सकती है. दरअसल, शुक्रवार को दिल्ली में कोल इंडिया की सरप्लस आवास आवंटन कमेटी की बैठक हुई. निर्णय हुआ कि दुर्गा पूजा के पहले और उसके बाद समिति के मेंबर कोयला कंपनियों का दौरा कर आवासों की स्थिति की जानकारी लेंगे. इसके बाद अगली बैठक में केंद्र से स्वीकृति के लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजा जाएगा. फिलहाल के समय में कोयला कंपनियों सिर्फ अपने कर्मियों को ही आवास आवंटित कर सकती है.
ठेका मजदूरों को भी आवास देने पर कोल् इंडिया मैनेजमेंट कर रहा विचार
वैसे ठेका मजदूरों को भी आवास देने पर कोल् इंडिया मैनेजमेंट विचार कर रहा है. सूत्र बताते हैं कि एक सप्ताह पहले कोल इंडिया ने एक लेटर जारी कर ठेका मजदूरों को घर, बच्चों की शिक्षा, इलाज आदि के लिए सहायक कंपनियों को गाइडलाइन जारी किया है. बैठक में यह बात भी सामने आई कि कोयला कंपनियों ने आवास की सही संख्या नहीं उपलब्ध कराई है. पुराने आंकड़े बताए गए है. बताया गया है कि कुल तीन लाख पांच हज़ार आवास हैं और सवा दो लाख कोयलाकर्मी फिलहाल है. समिति चाहती है कि कितने आवास आवंटित किए गए हैं और कितने में अवैध कब्जा है, कितने रहने लायक नहीं है. इन सब की जानकारी मिले.
ठेका मजदूरों की ओर भी गया है प्रबंधन का ध्यान ,आवास भी मिल सकता है
दरअसल, कोयला कंपनियों ने अब ठेका मजदूरों पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है. यह बात तो निर्विवाद है कि कोयला कंपनियों का 80% उत्पादन ठेका मजदूरों के भरोसे हो रहा है. आउटसोर्स कंपनियां ठेका मजदूरों को एक तो कम तनख्वाह देती है, दूसरी ओर उन्हें अन्य जरूरी सुविधाएं भी नहीं मिलती है. उनका काम भी कठिन होता है. अब देखना है कि सरप्लस आवास आवंटन के आगे क्या नियम बनते हैं?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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