धनबाद(DHANBAD): कोयले की नगरी धनबाद , धनबाद के कोयले से देश के बड़े-बड़े शहर रोशन होते हैं, लेकिन धनबाद के लोग ही अंधेरे में जीते हैं. धनबाद के कोयले से बिजली का उत्पादन होता है और धनबाद को पर्याप्त बिजली मिलती ही नहीं है.  हाल के दिनों की बात करें तो धनबाद जिले को तीन सौ  से साढ़े तीन सौ  मेगा वाट बिजली की जरूरत प्रतिदिन है लेकिन सप्लाई हो रही है केवल 200 मेगावाट.

 10 से 12 घंटा शेडिंग  हो रही है

ऐसे में लोगों की परेशानी बहुत अधिक बढ़ गई है. पहले जो लोग जनरेटर चलाकर काम कर लेते थे , डीजल के बढ़ते मूल्य ने उनका साहस तोड़ दिया है और अब वह बिना बिजली के रहना अपनी मजबूरी मान बैठे है. उद्योग- व्यवसाय के लिए भी जनरेटर चलाना फायदेमंद नहीं रह गया है. ऐसे में धनबाद के लोगों का जीवन नरक  हो गया है. कभी डीवीसी तो कभी झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड शटडाउन लेकर जनता को तबाह कर रहे है. सावन के महीने में धनबाद में 6 से 8 घंटा ,कहीं-कहीं 10 से 12 घंटा शेडिंग  हो रही है.
 
डी वी सी को भी मोदी सरकार, ईडी ,सीबीआई की तरह  कर रही है उपयोग

इस संबंध में उपभोक्ता रवि का कहना है, कि धनबाद के  किस्मत में ही खोट है. बिजली नहीं रहने से लोगों को परेशानी हो रही है, एसी नहीं चलते ,इन्वर्टर चार्ज नहीं होता है, सब काम तो बिजली पर ही निर्भर है.  उपभोक्ता प्रभात कुमार साव  ने कहा कि सरकार बड़े-बड़े वादे करती है लेकिन करती कुछ नहीं है.  बिजली नहीं रहने से बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है, कोई काम हो नहीं रहा है.  उपभोक्ता दिलीप सिंह का कहना है कि धनबाद में अगर बिजली और पानी की समस्या खत्म हो जाए तो यहां के नेताओ  की राजनीति खत्म हो जाएगी.  यह सब जानबूझकर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया जाता है.वही प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष व पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो ने कहा कि रघुवर दास की सरकार के समय ₹1 भुगतान नहीं किया गया. अब जाकर पेमेंट शुरू हुआ है.कुछ तकनीकी कारण भी है लेकिन डी वी सी को भी मोदी सरकार, ईडी ,सीबीआई की तरह उपयोग कर रही है.  

रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह/प्रकाश महतो धनबाद