दुमका(DUMKA): 8 वर्ष पूर्व तत्कालीन सरकार द्वारा राज्य के 12 उग्रवाद प्रभावित जिलों में लगभग ढाई हजार सहायक पुलिस कर्मियों को  नियुक्त किया गया था. 10 हजार रुपए प्रतिमाह के मानदेय पर इन्हें नियुक्त किया गया था. भरोसा यह भी दिया गया था कि बेहतर कार्य करने वालों को स्थाई किया जाएगा. लेकिन 8 वर्ष बाद एक बार फिर हजारों सहायक पुलिस बेरोजगार हो गए है. 10 अगस्त को इनकी सेवा समाप्त हो गई क्योंकि सरकार के स्तर से इन्हें एक्सटेंशन नहीं मिला. सेवा विस्तार नहीं मिलने से निराश बेरोजगार हुए सहायक पुलिसकर्मी एक बार फिर आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गए है. 

बस एक ही मांग, हो स्थाई समाधान

दुमका जिला में भी लगभग दो सौ सहायक पुलिस की नियुक्ति ही थी. आउटडोर स्टेडियम में बेरोजगार हो चुके सहायक पुलिस ने बैठक की. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सरकार से मिलकर सेवा विस्तार के साथ साथ समस्या के स्थाई समाधान की मांग करेंगे. अगर बात नहीं बनी तो एक बार फिर रांची के मोरहाबादी मैदान में एकजुट होकर आंदोलन करेंगे. इनकी बस एक ही मांग है कि स्थाई समाधान हो. इनका कहना है कि 8 वर्षों में मानदेय दस हजार रुपए से बढ़ा कर 13 हजार रुपए किया गया लेकिन प्रत्येक वर्ष सेवा विस्तार देने में लगभग दो महीने लग जाता है. जिसका मानदेय इन्हें मिलता नहीं है. इस तरह देखा जाए तो आज भी 10 हजार रुपए में काम करना पड़ रहा है. इसलिए समस्या का स्थाई समाधान किया जाए.

रिपोर्ट: पंचम झा