धनबाद(DHANBAD):तो क्या सिंदरी "2003 की ओर लौट रही है. उस समय तो समूची सिंदरी को खाली करने की कोशिश हुई थी. लेकिन फिलवक्त सिंदरी के कुछ हिस्से को खाली कराने का प्रयास हो रहा है. उस समय धनबाद की सांसद प्रोफेसर रीता वर्मा थी. उन्होंने सिंदरी को बचाने में सिंदरी के लोगो का सहयोग किया था. वर्तमान में धनबाद के सांसद ढुल्लू महतो है. उन्होंने भी लोगों को भरोसा दिया है लेकिन, उस भरोसे कि अब अग्नि परीक्षा की बारी आ गई है. धनबाद की सिंदरी अपने जीवन के 75 साल में अलग-अलग कारणों से चर्चा में रही. 1951 में भी चर्चा में थी और 2025 में भी चर्चे में है.
कभी पूरे देश में अपने उत्कर्ष का उदाहरण बनी थी सिंदरी
कभी पूरे देश में अपने उत्कर्ष का उदाहरण बनी, तो कभी देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की "स्वप्न सुंदरी" के रूप में चर्चित हुई, तो कभी कारखाना बंदी को लेकर चर्चा में आई. फिर हर्ल कंपनी के निर्माण को लेकर चर्चित हुई. इधर, अब आवास खाली करने को लेकर चर्चा में है. सांसद और विधायक तो कहते रहे हैं कि आवास खाली नहीं होंगे, लेकिन धीरे-धीरे प्रक्रिया आगे बढ़ती जा रही है. जानकारी के अनुसार एफसीआई, सिंदरी प्रबंधन ने कथित अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ फिर एक बार बेदखली अभियान शुरू किया है.
फिर शुरू हुआ है नोटिस -नोटिस का खेल ,अब क्या होगा
रोहडाबांध क्षेत्र स्थित आवास में अवैध रूप से रहने वाले के खिलाफ बेदखली के लिए नोटिस जारी किए जा रहे है. जिन 1615 लोगों को खिलाफ बेदखली का नोटिस निर्गत किया जा रहा है. सचमुच सिंदरी कभी "सुंदरी" थी लेकिन अब नहीं है. उल्लेखनीय है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की "स्वप्न सुंदरी" सिंदरी 1951 में शुरू होने के बाद किस्तों में मरती चली गई या किस्तों में मार दी गई. दोनों बातें सच है क्योंकि जिस तामझाम और जरूरत को पूरा करने के लिए सिंदरी खाद कारखाने का उद्घाटन पंडित नेहरू ने 1951 में किया था, उसे आगे के दिनों में मेंटेन नहीं किया गया और धीरे-धीरे अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, लालफीताशाही ,नेतागिरी की भेंट चढ गया देश का प्रतिष्ठित सिंदरी खाद कारखाना.
दिसंबर 2002 में सिंदरी खाद कारखान हमेशा -हमेशा के लिए बंद हो गया
यूं तो इसकी हालत एक दशक से भी अधिक समय से बिगड़ रही थी लेकिन अंततः दिसंबर 2002 में इस कारखाने को स्थाई रूप से बंद घोषित कर दिया गया. यह कारखाना अपने आप में अद्भुत था, इस कारखाने के पास अपनी रेल लाइन, अपना पोस्ट ऑफिस, अपना एयरपोर्ट सब कुछ था और देश के अन्य उद्योगों के लिए एक उदाहरण भी था ,लेकिन समय के साथ सरकार की निगाहें टेढ़ी होती गई और यह कारखाना हमेशा -हमेशा के लिए बंद हो गया. जिस समय यह कारखाना बंद हुआ ,उस समय यहां कार्यरत कर्मचारियों की संख्या लगभग दो हजार से भी अधिक थी. उन्हें वीआरएस दे दिया गया ,हालांकि इस कारखाने के बंदी के बाद खुलवाने के लिए जबरदस्त आंदोलन हुआ ,धरना -प्रदर्शन हुए, सिंदरी से लेकर धनबाद तक ,धनबाद से लेकर दिल्ली तक आंदोलन हुए, प्रभावित कर्मचारियों ने जनप्रतिनिधियों से भी गुहार की लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला और कारखाना बंद हो गया.
सिंदरी के लिए 2016 में एक बार फिर सुगबुगाहट शुरू हुई
जो कर्मचारी वीआरएस लेने के बाद भी सिंदरी छोड़कर नहीं जाना चाहते थे ,उन्हें इकरारनामा के आधार पर जिन घरों में वह रह रहे थे ,आवंटित किया गया. हालांकि उसके बाद भी उनकी समस्याएं कमी नहीं, समस्याएं बढ़ती रही. सब कुछ खत्म होने के बाद 2016 में केंद्र सरकार ने सुगबुगाहट शुरू की. कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड और एफसीआईएल को मिलाकर 15 जून 2016 को एक ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई गई जिसका नाम दिया गया हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (हर्ल) , जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मई 2018 को किया. फिर यह कारखाना शुरू जरूर हुआ है लेकिन सिंदरी की अतीत लौटेगी ,इसमें संदेह है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो

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