रांची (RANCHI): जंगल, पहाड़, नदी-नहर और ताल-तलैया के साथ अकूत भूगर्भीय संपदाओं के लिए झारखंड जाना जाता है. इसके साथ अजूबे-अनूठे जीव-जंतुओं के लिए भी राज्य की पहचान है. इन्हीं में से एक सर्प है. बरसात में इनका दिखलाई देना आम बात है. रातू  बड़ा तालाब के पास एक विशालकाय अजगर देखा गया. प्रत्यक्षदर्शियों ने उसे पकड़कर वन विभाग को सौंपने का निर्णय लिया] लेकिन काफी प्रयास करने के बाद भी अजगर को पकड़ा नहीं जा सका. थोड़ी देर के बाद अजगर झाड़ियों में छिप गया.

बता दें कि डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 80 हजार से अधिक लोग सर्पदंश के शिकार होते हैं, जिसमें से अकेले भारत में 11 हजार लोगों की मौत हो जाती है.

झारखंड में 25 प्रकार के सांप 
देश में 300, तो दुनिया में 2500 प्रकार के सांप पाए जाते हैं। लेकिन अपने झारखंड में 25 प्रकार के सांप के बारे में जानकारी मिलती है. इनमें महज 20 प्रतिशत सांप ही जहरीले होते हैं. इनमें अजगर, गेहूंअन, भारतीय नाग, नगा प्रजाति की सभी उप प्रजातियां, किंग कोबरा, रसल्स वाइपर, धामन, चेकर्ड कीलबैक स्नेक, ओसिबेसियस कीलबैक स्नैक आदि शामिल हैं. इसके अलावा करैत, बैंडेड करेत, कोबरा आदि जहरीला सांप है. राज्य के सिंहभूम और सिमडेगा जिलों में सर्पदंश के मामले सबसे अधिक सामने आते हैं.

सांप कांटने पर मिलता है मुआवजा

सांप के काटने से मौत हो जाने पर मृतक के परिजनों को दूसरे राज्यों में एक से चार लाख तक का मुआवजा दिया जाता है. पंजाब-केरल में एक-एक, बंगाल में दो और ओड़िशा में तो चार लाख रुपये तक दिए जाते हैं. लेकिन झारखंड में ऐसा कोई मुआवजा दिया ही नहीं जाता. वन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि कोई दावा ही नहीं करता. जबकि वन्यप्राणी सुरक्षा अधिनियम 1972 की धारा 2 (36) के अनुसार सांप के काटने पर मरने वाले के परिजनों को ढाई लाख रुपए मुआवजा का प्रावधान है.