रांची (RANCHI): राज्य के विश्वविद्यालय और कॉलेज वीरान पड़े हुए हैं. कक्षा रूमों में सन्नाटा है जबकि सड़कों पर शिक्षक उतरे हुए हैं. ऐसा इसलिए है कि तीन दिनों से सैकड़ो सहायक प्राध्यापक राची राजभवन के समक्ष धरना दे रहे हैं. इसका आयोजन झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ ने किया है.
ये सभी सहायक प्राध्यापक अनुबंध पर काम करने वाले हैं. ये राज्य के कई विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में सेवारत हैं. घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों की सेवा रेगुलराइजेशन करने, इसके लिए स्टेच्युट बनाने और टर्मिनेट शिक्षकों की सेवा बरकरार करने जैसी अनगिनत मांगों को लेकर ये धरना दे रहे हैं. महिला प्राध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज उठायी. देखते देखते ही अनुबंध पर कार्यरत अन्य सभी सहायक प्राध्यापकों ने भी उनके समर्थन में राजभवन के सामने दौड़ पड़े. सभी विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन बाधित हो चुका है.
विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कक्षाएं खाली जा रहीं
सिद्धू-कान्हू मुर्मु विश्वविद्यालय दुमका से आये डॉ. कुमार सौरभ ने घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों की समस्याओं को बताते हुए कहा कि सरकार को सभी शिक्षकों की मांगों पर ध्यान देने की आवश्यकता है. क्योंकि सभी घंटी आधारित शिक्षकों के धरना में सम्मिलत होने के कारण राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कक्षाएं खाली जा रही हैं. जबकि कई विश्वविद्यालयों में छात्रों की परीक्षाएं आयोजित होने वाली हैं. रांची विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ० अशोक कुमार महतो ने कहा कि सरकार को चार सूत्री मांगों पर गंभीरता के साथ विचार करने की आवश्यकता है, और सरकार हमें सम्मान का जीवन दे ताकि अपनी मूलभूत समस्याओं से फ्री होकर पढ़ा सकें.
सीएम ने नहीं दिया मिलने का समय
विनोबा भावे विश्वविद्यालय की सहायक प्राध्यापक डॉ. रुपम कुमारी का कहना है कि सरकार सबसे पहले यूजीसी ग्रेड पे के अनुसार फिक्स सैलेरी दे.शिक्षकों का चयन यूजीसी के मानदंडों के अनुसार हुआ है. सरकार सभी अनुबंध शिक्षकों को नियमित करे.शिक्षकों का कहना है की सम्मान रूपी जीवन यापन करने का मार्ग प्रदान करे, ताकि और अधिक समर्पित होकर झारखंड की उच्च शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार ला सकें. कोल्हान विश्वविद्यालय की शिक्षिका डॉ. अंजना सिंह ने कहा कि एस. के.एम.यू. तथा कोल्हान विश्वविद्यालय में 6-6 यानी कुल बारह शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई है, उन सभी शिक्षकों को सरकार पुनः सेवा में वापस लाए क्योंकि राज्य के विश्वविद्यालयों में हज़ारों पद अभी भी रिक्त पड़े हैं, ऐसे में किसी शिक्षक को टर्मिनेट करना सही बात नहीं है. मौके पर डॉ. स्मिता गुप्ता, डॉ. निवेदिता एवं डॉ. माधुरी दास ने कहा कि मुख्यमंत्री से कई बार मिलने का समय मांगा गया, लेकिन समय नहीं मिला.

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