टीएनपीडेस्क(TNPDESK): देश में अवैध खनन और तस्करी नासूर बन गया है. इस गोरख धंधे का खेल ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों की मिलीभगत से चलता है. लेकिन इसमें ईमानदार पुलिस पदाधिकारीयों को उनकी साठ- गांठ की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है.ऐसे कई मामले पिछले दो सालों में देखने को मिले है.
ताजा मामला झारखंड, गुजरात और हरियाणा का है. रांची में सिमडेगा की ओर से आ रहे पशु तस्करों ने तुपुदाना थाना क्षेत्र में महिला दरोगा को वाहन से कुचल दिया. इसके अलावा गुजरात में भी एक Sub इंस्पेक्टर को ट्रक ने धक्का मार कर मौत के घाट उतार दिया. वहीं मंगलवार को हरियाणा में अवैध खनन को रोकने गए DSP पर माफियाओं ने डम्फर चढ़ा कर मार डाला.
माफिया कर रहे हैं करोड़ो की कमाई
माफिया और तस्कर बेखौफ होकर धड़ल्ले से अवैध खनन कर कोयला बालू और पशु तस्करी कर करोड़ो की कमाई कर रहे हैं. झारखंड के कई जिलों में अवैध खनन के मामले को लेकर ग्रामीणों ने आवाज़ बुलंद की है. लेकिन उनकी आवाज़ सिस्टम तक नहीं पहुंच पाती है. यही हाल तस्करी का भी है झारखंड से हर दिन पशु तस्करी हो या गांजा बेखौफ होकर तस्कर दूसरे राज्य लेजाते है.लेकिन इसपर पुलिस की नजर नहीं जाती.
एक नज़र कुछ चर्चित हत्या, जिसे माफियाओं ने अंजाम दिया
हरियाणा के सोनीपथ में इससे पहले खनन रोकने गयी पुलिस टीम पर हमला हुआ था.जिसमें माफियाओं ने पुलिस जवान को बंधक बना कर पिटाई कर दी थी.वहीं SI की वर्दी तक फाड़ दिया था. 2012MP के मुरैला जिले में अवैध खनन रोकने गए आईपीएस नरेंद्र कुमार की हत्या कर दी थी.उनकी भी हत्या की घटना को अंजाम हरियाणा DSP जैसा ही माफियाओं ने किया उन्हें डम्फर से कुचल दिया था. इसके अलावा 2015 में चंबल जिले में पत्थर माफिया ने एक सिपाही की कुचल कर हत्या कर दी थी. फिर 2018 में चंबल के मुरैना में रेत माफिया ने डिप्टी रेंजर को ट्रैक्टर से कुचल कर मौत के घाट उतारा था।
उत्तर प्रदेश में भी माफिया प्रशासन पर हावी है. 2022 के शुरुआती महीने में आगरा में खनन विभाग की टीम पर हमला किया गया.जिसमें कई कर्मी घयाल हुए थे. 14 जुलाई 2020 को किरावली में खनन माफिया ने एक सिपाही की ट्रैक्टर से कुचल कर मार डाला था. इससे पहले भी 2019 में इरादतनागर में SI पर माफियाओं ने गोली चला दिया था. जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हुए थे. 2019 में ही खनन माफियाओं ने फतेहाबाद में वनकर्मियों पर हमला बोला था.
गुजरात में सामाजिक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गयी थी.सामाजिक कार्यकर्ता अमित जेठवा अवैध खनन मामले में सवाल उठता था.यह बात माफियाओं को अच्छी नहीं लगी बस उसकी हत्या कर दी गयी.
साउथ एशिया नेटवर्क के आकड़ो को देखेंगे तो आप चौक जाएंगे. इसके आंकड़े के मुताबिक अवैध खनन रोकने के चक्कर में कई अफसर, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता की जान माफिया ले चुके है. वर्ष 2020 में एक डेटा के मुताबिक 2019 से 2020 तक 190 लोगों की जान गई है.
कॉपी: समीर हुसैन,रांची

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