झुमरी तिलैया(JHUMRI TILAIYA): कोडरमा पंजाबी समाज ने गत 50 वर्षो से चली आ रही मृत्यु भोज की प्रथा को रोक लगाने का की पहल की है. इस अभियान को शुरू करने का सोच मुक्ति धाम में तीन दिन पूर्व लोगों ने लिया और इसके बाद यह प्रथा झुमरी तिलैया में लागू कर दी गई.  

समाज के लोगों का मानना है कि सभी को खुशी में भोज और दुख में शोक मनाना चाहिए. मृत्यु भोज एक गंभीर सामाजिक बुराई है. अपने परिवार के खोने का दुख और ऊपर से भारी भरकम खर्च का कोई औचित्य नहीं है. इसलिए मृत्यु भोज से सभी को परहेज करना चाहिए. इसकी जगह इंसान और प्राकृतिक को बचाने के लिए पौधा लगाना, बच्चियों की पढाई कराना, शादी-विवाह में मदद के अलावा धर्मशाला, विवाह भवन बनाए, ऐसे में मृतक के आत्मा को शांति मिलेगी.

कई लोग स्वागत कर चुके इस फैसले का

इसके लागू होने से मध्यम और गरीब परिवार के बीच की दूरियां भी दूर होंगी. मालूम हो कि शहर के व्यवसायी विनय छाबडा की माता सीता रानी का निधन इस सप्ताह को हुआ, जिसके बाद गुरुद्वारा गुरूसिंह सभा में पाठ का आयोजन किया गया था. इसको लेकर अरदास कार्यक्रम में गुरुद्वारा गुरूसिंह सभा के सचिव यशपाल सिंह सलुजा ने घोषणा की अब मृत्यु भोज समाज में बंद कर दिया गया है.

केवल चाय और बिस्कुट दिया गया

गुरुद्वारा में अरदास के बाद होने वाले भोज में केवल चाय और बिस्कुट दिया गया. वहीं, कोडरमा नगर पंचायत की निर्वतमान उपाध्यक्ष कुलवीर सलुजा के ननद का निधन दो दिन पूर्व हुआ और 30 जुलाई को गुरुद्वारा कलगीधर सभा में पाठ का समापन होगा. यहां भी प्रधान बलवंत सिंह लाम्बा गुरुद्वारा में रोक संबंधित घोषणा करेंगे.

जिला में लगभग 275 पंजाबी घर

वहीं, इस पहल की गुरुद्वारा गुरुनानक पुरा के प्रधान बलवीर सिंह भाटिया ने भी स्वागत किया है. इसके अलावा कई और समाज के लोगों ने इस निर्णय का स्वागत किया है. आपको बता दें कि झुमरी तिलैया में लगभग 275 घर पंजाबी समाज के हैं और मृत्यु भोज में लगभग 50 हजार से 1 लाख का खर्च आता था. अब ये राशि परिवार के लोग सामाजिक एकीकरण कार्यक्रम में लगाने में स्वतंत्र होंगे.

रिपोर्ट: अमित कुमार, झुमरी तिलैया