टीएनपी डेस्क - झारखंड के हेमंत सरकार के द्वारा विदेश में उच्च शिक्षा ग्रहण के लिए एक छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत पहले दस छात्रों को विदेश में शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्रवृत्ति की सुविधा देने की व्यवस्था हुई. उसके बाद संख्या बढ़कर 25 कर दी गई. कुछ महत्वपूर्ण कैबिनेट की बैठक में 50 छात्रों को इस योजना के दायरे में लाने का निर्णय हुआ. कैबिनेट का निर्णय हो गया लेकिन मामला अभी अटका हुआ है. फिलहाल इस वर्ष के लिए 25 छात्रों को ही यह छात्रवृत्ति मिलेगी.
कैबिनेट की बैठक के बाद आखिर कहां जाकर रूक गया मामला
अब यह सवाल उठता है कि कैबिनेट की बैठक के निर्णय के बावजूद यह योजना विस्तारित क्यों नहीं हो पाई. यानी कहने का अर्थ यह है कि जब कैबिनेट ने इस मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेसीय छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्रों की संख्या 25 से बढाकर 50 कर दी तो फिर विभाग ने 25 छात्रों के लिए ही इस योजना के लिए आवेदन क्यों मांगा है. इस पर आदिवासी कल्याण आयुक्त कार्यालय से जो जानकारी मिली है कि कैबिनेट की बैठक में फैसला बेशक हो गया हो लेकिन विभाग में अभी यह मामला दब गया है. कल्याण विभाग ने इस संबंध में कोई ताजा संकल्प जारी नहीं किया है।.
यानी यह समझ लीजिए कि मामला 25 छात्रों तक ही सिमटा पड़ा है. इस छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्रों को यूनाइटेड किंगडम में उच्च शिक्षा हासिल करने की सुविधा मिलती है. इसके तहत सारा खर्च सरकार वहन करती है. मोटे तौर पर घर से ले जाकर फिर वापस घर पहुंचने का जो खर्चा है यानी कोर्स पूरा करने तक का पूरा खर्चा सरकार वहन करती है. 90 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपए तक एक छात्र पर खर्च होता है यह एक महत्वपूर्ण योजना है. छात्रवृत्ति के माध्यम से अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए यह योजना सरकार ने 4 साल पूर्व शुरू की थी आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा ने कहा कि 6 जून तक छात्र आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए बनी कमेटी आवेदन की स्क्रुटनी करेगी.अगस्त तक सब कुछ फाइनल कर दिया जाएगा. सितंबर में चयनित बच्चों को इस छात्रवृत्ति योजना के तहत यूनाइटेड किंगडम भेज दिया जाएगा.
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