धनबाद(DHANBAD): कोल इंडिया की सहायक कंपनियों में अब "परफॉर्मेंस वार" हो सकता है. धीरे-धीरे इसकी जमीन तैयार हो रही है. वैसे तो 2017 में ही नीति आयोग ने कोल इंडिया की सहायक कंपनियों को अलग-अलग बांटने का सुझाव दिया था. सोच यह थी कि ऐसा होने से सभी कंपनियां परफॉर्मेंस पर ध्यान देंगी. लेकिन मजदूर संगठनों ने इसका कड़ा प्रतिवाद किया था. इस वजह से यह सुझाव ठंडे बस्ते में चला गया था. लेकिन अब परिस्थितिया पूरी तरह से बदल गई है. विनिवेश का जोर है. फिलहाल कोल इंडिया की दो बड़ी कंपनियां बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल में विनिवेश का काम आगे बढ़ चुका है.

ईसीएल को फिलहाल अभियान से अलग रखा गया है 

 इसके अलावा ईसीएल को छोड़कर अन्य कोयला कंपनियो के विनिवेश का रोड मैप तैयार किया गया है. समय पर इसे लागू भी किया जा सकता है. फिलहाल सभी अनुषंगी कंपनियां कोल इंडिया के अधीन काम कर रही हैं. लेकिन स्वतंत्र प्रतिस्पर्धा के लिए अब संभावना बन गई है कि सबको स्वतंत्र कर दिया जाए. सवाल किया जा रहा है कि कोल इंडिया की सिर्फ दो कंपनियां बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल के विनिवेश की ही प्रक्रिया फिलहाल क्यों शुरू की गई है. इसके जवाब में सूत्र बताते हैं कि यह दोनों कंपनियां कोल इंडिया के लिए महत्वपूर्ण है और बड़ी  के बाद अन्य के विनिवेश के लिए भी प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. बता दे कि सभी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश का नीतिगत निर्णय सरकार ने लिया है. इसी के तहत कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियां के विनिवेश से संबंधित प्रस्ताव भेजा गया है.

बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल में विनिवेश की प्रक्रिया  चल रही 
 
बीसीसीएल और सीएमपीडीआईएल में विनिवेश की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है. और कभी भी लिस्टिंग संभव है. सूत्र यह भी बताते हैं कि फिलहाल ईसीएल को विनिवेश से अलग रखने का निर्णय लिया गया है. मतलब साफ है कि अब अनुषंगी कंपनियों को कोल इंडिया की तरफ देखना नहीं होगा. खुद उत्पादन करना होगा, खुद कोयला बेचना होगा और कंपनी चलानी होगी .वैसे भी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया धीरे-धीरे ही सही लेकिन निजीकरण की ओर बढ़ रही है. कर्मचारियों की संख्या लगातार घट रही है .आउटसोर्सिंग कंपनियों का वर्चस्व बढ़ रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि आगे आगे होता है क्या.

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो