रांची (RANCHI )झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के द्वारा अपनी मांगों को लेकर राज्यपाल सह कुलाधिपति तथा मुख्यमंत्री ध्यानाकर्षण हेतु शांति पूर्ण अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन कार्यक्रम आज चौदहवें दिन भी राजभवन के समीप जारी रहा. राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत महिला प्राध्यापकों के नेतृत्व में आज भी सैकड़ों प्राध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जन्म दिन के अवसर पर अनुबंधित सहायक प्राध्यापकों का एक प्रतिनिधि मंडल उनके आवास पर जा कर मिले एवम पुष्प गुच्छ देकर जन्म दिन की शुभकामनाएं दिया. मुख्यमंत्री ने आश्वासन देते हुए कहा कि आप सब चिंता न करें, अनुबंध सहायक प्राध्यापकों की समस्याओं से हम अवगत हैं आप सबों के बारे में सरकार शीघ्र ही सकारात्मक निर्णय लेने जा रही है. परंतु सभी अनुबंधित प्राध्यापकों का कहना है कि यह एक मात्र अनौपचारिक मुलाकात थी. जब तक मुख्यमंत्री जी वार्ता हेतु समय देकर हमारी मांगों एवम हमारी समस्याएं को नहीं सुनेंगे, तब तक यह ध्यानाकर्षण हेतु अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन कार्यक्रम जारी रहेगा.
सरकार हमें सम्मान का जीवन दें ताकि हम सभी शिक्षक और अधिक समर्पित होकर
घंटी आधारित सहायक प्राध्यापकों के धरना पर बैठने के कारण राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में पठन-पाठन व्यवस्था विल्कुल रूप से ठप है. इसी माह में कई विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की परीक्षाएं आयोजित होने वाली हैं, ऐसे में परीक्षाओं के ऊपर भी इस धरने का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है. यू.जी.सी के मापदंडों के आधार पर चयनित घंटी आधारित सहायक प्राध्यापक विगत साढ़े चार वर्षों से अपने कार्यों का निर्वहन बखूबी करते चले आ रहें हैं. इन प्राध्यापकों का मांग है, कि सरकार हमें सम्मान का जीवन दें ताकि हम सभी शिक्षक और अधिक समर्पित होकर अपने राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार ला सकें. प्राध्यापकों का कहना है कि इसके लिए सरकार सबसे पहले हमें यू.जी.सी ग्रेड पे के अनुसार एक निश्चित मासिक सैलेरी फिक्स करे, साथ ही सरकार हमारे लिए एक स्टेच्यूट का निर्माण कर यथा शीघ्र हमें नियमित करे. इसके अलावे एस.के.एम.यू. तथा कोल्हान विश्वविद्यालय के बारह टर्मिनेट साथियों को सेवा में अविलंब बहाल करे, चूंकि राज्य के विश्वविद्यालयों में हज़ारों पद अभी भी रिक्त पड़े हैं ऐसे में किसी को टर्मिनेट करना तर्क संगत नहीं है.
बरसात के मौसम में भी घर और महाविद्यालयों से दूर राजभवन के समीप धरना पर बैठना
सहायक प्राध्यापकों का कहना है कि कुल मिलाकर ये नियुक्ति काफी शोषणकारी है. सरकार द्वारा हमलोगों को लगातार शोषण किया जा रहा है. शोषणकारी व्यवस्था के विरुद्ध मजबूर होकर हमें एकत्रित होना पड़ रहा है ताकि राज्यपाल सह कुलाधिपति तथा मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक महोदय का ध्यानाकर्षण कार्यक्रम के माध्यम से अपनी समस्याओं पर उनका ध्यान आकृष्ट करा सकें. सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये से नाराज़ प्राध्यापकों का कहना है कि मुख्यमंत्री से धरना के पूर्व तथा धरना के दौरान कई बार मिलने के लिए आवेदन दिया एवम अपने मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा, परंतु उन्होंने हमें अभी तक समय प्रदान नहीं किया है. अन्ततः हमें विवश हो कर बरसात के मौसम में भी घर और महाविद्यालयों से दूर राजभवन के समीप धरना पर बैठना पड़ रहा है. ध्यानाकर्षण हेतु धरना प्रदर्शन में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये सैकड़ों घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे. जिसमें मुख्य रूप से डॉ० अंजना सिंह, डॉ० बी.एन.साहू, डॉ० एस.के. झा, डॉ० नरेंद्र दास, डॉ० दीपक कुमार, बिंदेश्वर साहू, डॉ० अशोक कुमार महतो, डॉ० राम कुमार, डॉ० स्मिता गुप्ता, डॉ० निवेदिता मुनमुन, डॉ० अजय नाथ सहदेव, श्री बी.पन्ना, डॉ० सुमंत कुमार, डॉ० नीलम कुमारी, अन्नपूर्णा झा, सुनीता टोप्पो, सुनीता उरांव, डॉ० टी. शाही, डॉ० ज्योति चौधरी, कुमारी कंचन बर्नवाल, डॉ० संगीता पी. सांगा, डॉ० लक्ष्मी पिंगुआ, डॉ० अल्पना मेहता, सुषमा कुजूर, डॉ० रेखा कुमारी, डॉ० अंजुलता कुमारी शामिल थी,

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